डॉ टीके नवरात्रि के दौरान सोनिया गाँधी की पूजा करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि वह देवी का अवतार हैं। वो उनसे प्रार्थना करते हैं और नवरात्रि के पूरे नौ दिनों तक सोनिया गाँधी के लिए व्रत रखते हैं।
पार्टी छोड़ने वाले नेताओं ने कहा कि वो जल्द ही एक नया राजनीतिक दल बनाएँगे। इन नेताओं ने कहा कि उन्होंने राज्य में NRC लागू करने का माँग की थी और भ्रष्ट नेताओं के साथ किसी भी तरह का समझौता करने से इनकार कर दिया था। लेकिन कॉन्ग्रेस ने...
बाबा रामदेव ने कहा कि अगर देश का कानून तोड़ेंगे तो चिदंबरम जैसा हाल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि कानून के शिकंजे में राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी भी हैं। चिदंबरम के बाद अब जेल जाने का नंबर राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी का है।
हाल ही में कई कॉन्ग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़ने के संदर्भ में सोनिया ने कहा- "लोग समय आने पर अपना रंग दिखा ही देते हैं, यह अवसरवादी चरित्र को दर्शाता है। हम जल्द ही तीन राज्यों में चुनावों का सामना करने जा रहे हैं। हालात चुनौतीपूर्ण हैं और अगर हम सिर्फ पार्टी हित को ऊपर रखें तो....."
बठिंडा निवासी और सिविल लाइन क्लब के पूर्व प्रधान जगजीत सिंह धालीवाल एवं शिवदेव सिंह ने इस संबंध में कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने कॉन्ग्रेस द्वारा एक निजी क्लब में मालवा कॉन्ग्रेस भवन खोले जाने के खिलाफ स्थाई रोक लगाने की माँग की थी।
प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने कहा है कि 5 साल तक मोदी का विरोध करने वाले थरूर बताएँ कि अचानक से उनके सुर क्यों बदल गए हैं। वहीं केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्नितला ने कहा है कि मोदी का गुणगान करने की जरूरत नहीं है।
‘‘गाँधी परिवार से बाहर किसी व्यक्ति का पार्टी का नेतृत्व करना वास्तव में मुश्किल होगा। राजनीति में भी ‘ब्रांड इक्विटी’ होती है। अगर आप अभी भाजपा को देखेंगे तो क्या मोदी और शाह के बिना वह सुचारू रूप से चल सकती है? जवाब है नहीं। इसी तरह...”
लोकतंत्र की दुहाई देकर राहुल गॉंधी के लिए पहली कतार में सीट मॉंगने का कोई मौका जाया नहीं करने वाली कॉन्ग्रेस के निशाने पर अब लोकतांत्रिक मूल्य हैं। स्वतंत्रता दिवस के जश्न के मौके पर लाल किले से सोनिया-राहुल का गायब रहना और प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से नवाजे जाने के समारोह से उनकी दूरी बानगी भर।
"कॉन्ग्रेस ने इतिहास की गलतियों से सीखने की तैयारी नहीं दिखाई। कॉन्ग्रेस के पतन के लिए मोदी-शाह जिम्मेदार न होकर वे खुद ही जिम्मेदार हैं। 73 साल की सोनिया गाँधी के कंधों पर भार सौंपकर कॉन्ग्रेस ने बचा-खुचा सत्व भी गँवा दिया है।''
कॉन्ग्रेस के भीतर कुछ लोगों का मानना है कि पार्टी अध्यक्ष के रूप में अगर कोई ग़ैर-गाँधी पद पर आसीन होगा तो पार्टी टूट जाएगी। बता दें कि पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट और मिलिंद देवड़ा जैसे नाम भी इस दौड़ में शामिल थे।