"हम सभी दिन रात कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए चैन की साँस नहीं ले रहे हैं। ऐसे में उम्मीद थी कि संकट के इस समय में कम से कम देश एक होगा और राजनीतिक दल इसे राजनीति का अखाड़ा नहीं बनाएँगें।"
सवाल बस इतना था कि क्या गाँधी परिवार ने अस्थायी क्वारंटाइन सेंटर्स, अस्पताल, ऑक्सीजन प्लांट्स बनवाने या प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन की व्यवस्था करने में कोई योगदान दिया है?
“मैंने पार्टी के लिए कड़ी मेहनत की, लेकिन केरल कॉन्ग्रेस टीम के साथ काम करना वास्तव में मुश्किल है। मैं कॉन्ग्रेस द्वारा लिए गए हर फैसले के साथ खड़ा था, लेकिन अब यह बहुत मुश्किल है।"