जब 1977 में जॉर्ज फर्नांडीस ने जेल से लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन भरा तो सुषमा ही दिल्ली से मुजफ्फरपुर पहुॅंचीं और हथकड़ियों में जकड़ी जॉर्ज की तस्वीर दिखा प्रचार किया। उन दिनों 'जेल का फाटक टूटेगा, जॉर्ज हमारा छूटेगा' का उनका दिया नारा सबकी ज़ुबान पर था।
सुषमा स्वराज ने ट्विटर डिप्लोमेसी का दरवाजा खोला। ट्विटर पर सक्रिय रहते हुए लोगों की मदद करना इतना चर्चित हुआ कि वाशिंगटन पोस्ट ने उन्हें 'सुपरमॉम ऑफ द स्टेट' कहा। उनके देहांत के साथ ही भारतीय राजनीति का एक शालीन अध्याय समाप्त हो गया है।
सुषमा स्वराज, सरकार और लोगों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी थीं। कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने सरकार के शुरुआती महीनों में स्वराज को मोदी के लिए चुनौती के रूप में देखा। उन्होंने अपनी भूमिका में तालमेल बिठाया और पहली बार विदेश मंत्रालय को एक मानवीय चेहरा दिया।
फ्रेडरिक भारत में ही रहना चाहती है और गौसेवा करना चाहती है। इसलिए उन्होंने वीजा बढ़ाने का आवेदन किया था, लेकिन विदेश मंत्रालय के लखनऊ ऑफिस में बिना कोई कारण बताए उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया है।
अबरार नाम के एजेंट ने महिला को मस्कट के ब्यूटी पार्लर में नौकरी दिलाने का ऑफर दिया था। लेकिन काम कराया नौकरों वाला। जब उसने काम से मना किया तो उन्हें 10 दिन तक कमरे में रखकर मारपीट की गई और खाने के लिए भी कुछ नहीं दिया गया।
हाफ़िज ने बताया कि वह वहाँ काम के दौरान बीमार हो गए थे, लेकिन उनके मालिक ने उन्हें अस्पताल ले जाने से इंकार कर दिया। हाफिज़ का कहना है कि सऊदी से उन्हें भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने बचाया है।
अली पिछले एक साल से भारत आने के लिए परेशान है। अली के इस ट्वीट का जवाब देते हुए सुषमा स्वराज ने लिखा है, "खुदकुशी की बात नहीं सोचते हैं। हम हैं न।" सुषमा ने कहा हमारी ऐम्बेसी आपकी पूरी मदद करेगी।
मामले को गंभीरता से लेते हुए चुनाव आयोग ने जिलाधिकारी से इस मामले पर रिपोर्ट की। इसके बाद वीडियो अवलोकन टीम के प्रभारी द्वारा मामले की जाँच हुई और फिर पुलिस में आजम के ख़िलाफ़ FIR दर्ज की गई।
अफ्रीकी देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो से एक भारतीय डॉ प्रीती यादव ने मुश्किल में फंसे दूसरे भारतीय परिवार की मदद के लिए सुषमा स्वराज से अपील की है।
सेना में अपने 39 साल के करियर में सक्रिय कॉम्बैट लीडर के तौर पर कई भूमिकाएँ निभाने वाले जनरल चंद ने मोदी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि जितना भाजपा की सरकार ने सेना के लिए काम किया है उतना किसी और सरकार ने नहीं किया।