रविंदर सिंह ने सवाल किया कि क्या यह प्रतिबंध 'हिंदू तालिबान का निर्माण' है? उनके ट्वीट में लिखा था, “अब आप मंगलवार को गुड़गाँव में मांस नहीं बेच सकते। कारण- क्योंकि इससे धार्मिक भावनाएँ आहत होती हैं। हिंदू तालिबान का निर्माण?"
26/11 हमलों की बरसी के मौके पर मेंगलुरु की दीवारों पर भयावह बातें लिखी (ग्राफिटी) हुई थीं। जिसमें चेतावनी दी गई थी कि ‘संघी और मनुवादियों’ को ख़त्म करने के लिए लश्कर-ए-तैय्यबा और तालिबान की मदद ली जा सकती है।
“कई बार जब मैं ड्यूटी पर जाती थी तो मेरे पिता मेरा पीछा करते थे। उन्होंने आसपास के इलाके में तालिबान से संपर्क रखना शुरू कर दिया था और उनसे कहने लगे थे कि वह मुझे मेरी जॉब करने से रोकें।”
कल गुरूद्वारे पर हमले के बाद पूरा अफगानिस्तान अपने सिख-हिन्दू भाइयों के लिए उमड़ पड़ा और अपनी सहानुभूति व्यक्त कर उसके साथ खड़े होने की दृढ़ता दिखाई। इस हमले पर अभी तक तालिबान की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इस्लामिक स्टेट ने इसकी जिम्मेदारी लेकर एक बार फिर अपना घिनौना चेहरा दुनिया के सामने रख दिया। इधर भारत में लिबरल-वामपंथी गिरोह इसको लेकर चुप्पी साधे हुए है। जैसे उसने सुकमा में नक्सली हमले के वक्त साधा था।
अफगानिस्तान में 29 फरवरी को शांति समझौता हुआ था। हमलों से पहले ट्रंप और तालिबानी नेता मुल्ला बरादर के बीच बातचीत भी हुई थी। ताजा हमलों से शांति समझौता टूटने की कगार पर पहुॅंच गया है।
तालिबान द्वारा आजाद किए गए तीनों इंजीनियर, उन्हीं 7 भारतीयों में से हैं, जिनका पिछले वर्ष अफगानिस्तान में अपहरण हुआ था। इन्हें अफगानिस्तान के बघनाल प्रांत से अगवा किया गया था। सातों इंजीनियर केईसी कंपनी की ओर से वहाँ में एक पॉवर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे।