Friday, April 26, 2024
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मंगलवार को मांस बिक्री पर प्रतिबंध = हिंदू तालिबान का निर्माण: BJP सरकार के फैसले पर लेखक रविंदर का बेतुका बयान

लेखक रविंदर ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में फैले कट्टर-वहशी तालिबान की तुलना एक हिंदू बहुल क्षेत्र में एक विशेष दिन पर मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के फैसले से की। इनके जैसों के लिए एक विशेष समूह का अधिकार, अधिकार है और बहुसंख्यक समुदाय की कोई आस्था मायने नहीं रखती।

हाल ही में गुरुग्राम में मंगलवार को मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया। प्रतिबन्ध से बेशक कुछ लोगों को परेशानी हुई होगी, लेकिन ‘क्या दोबारा हो सकता है प्यार’ सहित करीब 9 किताबों के लेखक रविंदर सिंह को कुछ ज़्यादा ही पीड़ा हो रही है।

अपनी भड़ास निकालने के लिए शहर में मंगलवार को मांस की दुकानों को बंद करने के निर्णय पर नगर निगम गुरुग्राम (MCG) के एक न्यूज़ लिंक को रीट्वीट करते हुए, रविंदर सिंह ने सवाल किया कि क्या यह प्रतिबंध ‘हिंदू तालिबान का निर्माण’ है? उनके ट्वीट में लिखा था, “अब आप मंगलवार को गुड़गाँव में मांस नहीं बेच सकते। कारण- क्योंकि इससे धार्मिक भावनाएँ आहत होती हैं। हिंदू तालिबान का निर्माण?”

रविंदर सिंह के ट्वीट का स्क्रीनशॉट

लेखक रविंदर ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में फैले कट्टर-वहशी तालिबान की तुलना एक हिंदू बहुल क्षेत्र में मंगलवार को मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के फैसले से की। इनके जैसों के लिए एक विशेष समूह का अधिकार, अधिकार है और बहुसंख्यक समुदाय की आस्था कोई मायने नहीं रखती। जब भी ऐसी बात आती है तो तुरंत हिटलर और तालिबान इन्हें दिखाई देने लगता है। जबकि आज तक रविंदर सिंह जैसे लोगों ने कभी भी खुलकर पाकिस्तानी आतंक या उस तालिबान के कुकृत्यों पर नहीं बोला होगा जिन्होंने औरों का जीना हराम कर दिया है।

पाकिस्तान में तो आए-दिन हिन्दू नाबालिग लड़किया उठाई जाती है, उनका बलात्कार होता है फिर धर्म परिवर्तन कराकर उसी रेपिस्ट मुस्लिम से निकाह करा दिया जाता है जिसने उसकी अस्मत लूटी। बाकी जिस तालिबान का ये नाम ले रहे हैं उसका काम है सार्वजनिक रूप से पत्थरबाज़ी करना, महिलाओं को सार्वजनिक रूप से बोलने से रोकना, लड़कियों को कक्षा आठ से ऊपर शिक्षा प्राप्त करने से रोकना, मनोरंजन के सभी रूपों पर प्रतिबंध लगाना और 6वीं शताब्दी के स्मारक को तोड़ देना। इन सब पर तो कभी नहीं बोला होगा लेकिन गुरुग्राम में ‘हिन्दू तालिबान’ नजर आ रहा है।

इतना ही नहीं रविंदर सिंह ने मंगलवार को मांस पर प्रतिबंध को “धर्म थोपने” के रूप में स्पष्ट रूप से तालिबान के उस हिंसक रूप से जोड़ दिया जिसके लिए वह जाना जाता है।

इससे पहले, उन्होंने कोरोनोवायरस वैक्सीन का मजाक उड़ाते हुए अपने वही वामपंथी गौमूत्र वाले कटाक्ष के साथ सुर्खियों में आए थे। कोरोना वायरस वैक्सीन पर द वायर की पत्रकार रोहिणी सिंह के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए, रविंदर सिंह ने कहा था कि जब हमारे पास गोमूत्र इलाज के रूप में हैं तो हम (भारतीयों) को वैक्सीन की आवश्यकता क्यों होगी।

रविंदर सिंह इस बात पर चिंता व्यक्त कर रहे थे कि क्या भारत में राज्य सरकारों ने अपने हिस्से का वैक्सीन रिज़र्व कर दिया है जबकि दुनिया भर के देश ऐसा कर रहे हैं। लेकिन भारत में गोशालों और लव जिहाद पर बात हो रही है क्योंकि लोगों ने इसी के लिए वोट दिया था न कि वैक्सीन के लिए। ये सब देख कर लगता है कि कितना जहर भरा है इस देश के बहुसंख्यक लोगों के प्रति।

रविंदर सिंह के ट्वीट का स्क्रीनशॉट

गौरतलब है कि यह सब आज का नहीं है पहले भी रविंदर ने हिंदू धर्म और संस्कृति का अपमान करने के लिए अपना पूरा समय दिया। पिछले महीने, रविंदर सिंह ने अपने 1 मिलियन फॉलोवर को हिंदू धर्म और हिंदुत्व के बीच के अंतर को समझाने की कोशिश की, ऐसे में सिंह ने खजुराहो जैसे मंदिरों की तुलना ‘पोर्न फिल्मों’ से की।

रविंदर सिंह के ट्वीट का स्क्रीनशॉट

इससे पहले ये नागरिकता संशोधन कानून के बारे में फर्जी न्यूज़ और गलत सूचनाएँ फैलाने में जी जान से लगे रहे, जो कि तीन पड़ोसी इस्लामी देशों में हिंदुओं, सिखों, जैनियों और ईसाइयों सहित धार्मिक अल्पसंख्यकों को सताए जाने के लिए भारतीय नागरिकता सुलभ कराने के लिए लाया गया है।

रविंदर सिंह के ट्वीट का स्क्रीनशॉट

यहाँ यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि सीएए किसी भी भारतीय, मुस्लिम या अन्यथा उनके मजहब विशेष के आधार पर लागू नहीं है। और न ही कहीं इस बात का जिक्र है कि यदि भारत में रहने वाला मुस्लिम, अपनी नागरिकता साबित नहीं कर सकता है, तो उसे बाहर निकाल दिया जाएगा, सीएए कानून के अनुसार यह एक सरासर झूठ बात है। लेकिन क्या किया है ऐसे लोगों ने उस समय आपने देखा ही।

बता दें कि रविन्द्र सिंह एक-बेस्ट-सेलिंग ’लेखक हैं और अब तक 9 किताबें लिख चुके हैं। ट्विटर पर उनके एक मिलियन से अधिक फॉलोअर हैं और इंस्टाग्राम पर एक लाख से अधिक लोग हैं जो नियमित आधार पर ऐसों की हिन्दुओं के प्रति नफरत, कट्टरता और गलत सूचनाओं के संपर्क में आते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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