मोदी सरकार ने मई में इस बिल का मसौदा पेश किया था। इसके प्रावधानों को लेकर कई विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई थी। कॉन्ग्रेस ने इस मसले पर यूपीए के सभी सहयोगी दलों के साथ गुरुवार को बैठक की और इस बिल का विरोध करने का फैसला किया।
मौलाना अरशद मदनी ने अल्पसंख्यक समुदाय, विशेषकर मुस्लिम और दलित समुदाय पर हो रहे कथित हमलों पर कहा कि वर्तमान स्थिति विभाजन के समय से भी बद्तर और खतरनाक हो चुकी है और ये संविधान के वर्चस्व को चुनौती एवं न्याय व्यवस्था पर सवालिया निशान हैं।
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने ट्रिपल तलाक बिल के संसद से पास होने की उम्मीद जताई है। उनका कहना है कि संसद निकाह-हलाला को भी बैन करें, यह अमानवीय और जघन्य हैं।
नीतीश कुमार ने भी पिछले दिनों अपना रुख दोहराते हुए कहा था कि उनका विचार है कि अनुच्छेद 370 समाप्त नहीं किया जाना चाहिए। इसी तरह, समान नागरिक संहिता किसी के ऊपर नहीं थोपी जानी चाहिए और अयोध्या राम मंदिर का मुद्दा या तो संवाद के जरिए सुलझाया जाए या फिर अदालत के आदेश के जरिए।
हालाँकि, इन दो महिलाओं के उलट मुस्लिम समुदाय की कई अन्य महिलाएँ ऐसी भी हैं, जिन्हें ट्रिपल तलाक या तलाक-ए-बिद्दत की प्रथा तक की भी जानकारी नहीं है। जब उन्होंने इन महिलाओं से इससे जुड़े सवालों पर जब बात की तो वो नजरें फेर लेती हैं या फिर बहस का टॉपिक बदल देती हैं।
युवक ने दहेज में बाइक व दो लाख रुपए की माँग की थी, जिसके ना दिए जाने पर उसने 16 मार्च 2019 को पत्नी को व्हाट्सएप पर तलाक़ दे दिया। महिला के परिजनों का कहना है कि वो क़ानूनी सलाह लेने के बाद ही किसी तरह की कार्रवाई करेंगे।
निकाह समारोह शुक्रवार शाम को सातखिरा के हादीपुर में सम्पन्न हुआ, जहाँ दोनों परिवार अन्य रिश्तेदारों के साथ मौजूद थे। मुस्तफिजुर के भाई, महफ़ूज़ुर रहमान मिठू ने देशवासियों से नव दंपति के लिए प्रार्थना करने की अपील की।
जसपुर की चाँद मस्जिद के इमाम शाकिर हुसैन का कहना है कि सौतेली बेटी से निकाह करना शरियत के हिसाब से हराम है। मुस्लिम समुदाय के लोगों को ऐसे लोगों का बहिष्कार करना चाहिए।