Wednesday, November 6, 2024
Homeदेश-समाजसरकार या संसद को नहीं है शरीयत में हस्तक्षेप का हक: मौलाना मदनी

सरकार या संसद को नहीं है शरीयत में हस्तक्षेप का हक: मौलाना मदनी

तीन तलाक मुद्दे पर जमीयत ने कहा कि भारत के संविधान में दिए गए अधिकारों के तहत मुस्लिमों के धार्मिक एवं परिवारिक मामलों में सरकार या संसद को दखल देने का अधिकार नही हैं, क्योंकि मजहबी आजादी उनका बुनियादी हक है और इसका जिक्र संविधान की धारा 25 से 28 में की गई है।

महिलाओं की सामाजिक स्थिति मजबूत करने के लिए जहाँ सरकार तीन तलाक बिल पर गंभीर है और कानून बनाने के लिए संसद में लगातार कोशिश कर रही है, वहीं इस्लामिक संगठनों और कॉन्ग्रेस पार्टी की ओर से इसका विरोध जारी है।

तीन तलाक मुद्दे पर समुदाय के बड़े संग़ठन जमीयत उलेमा ए हिन्द ने कहा है कि भारत के संविधान में दिए गए अधिकारों के तहत मुस्लिमों के धार्मिक एवं परिवारिक मामलों में सरकार या संसद को दखल देने का अधिकार नही हैं। साथ ही यह भी कहा कि मुस्लिम ऐसे किसी कानून को नहीं स्वीकार करेगा, जो शरीयत के खिलाफ हो।

तीन तलाक मुद्दे पर जमीयत ने कहा कि भारत के संविधान में दिए गए अधिकारों के तहत मुस्लिमों के धार्मिक एवं परिवारिक मामलों में सरकार या संसद को दखल देने का अधिकार नही हैं, क्योंकि मजहबी आजादी उनका बुनियादी हक है और इसका जिक्र संविधान की धारा 25 से 28 में की गई है। इसलिए मुस्लिम ऐसा कोई भी कानून, जिससे शरीयत में हस्तक्षेप होता है स्वीकार नही करेगा। मौलाना मदनी ने कहा कि समुदाय के अलावा 68% तलाक गैर मुस्लिम में होता है और 32% तमाम समुदायों में लेकिन सरकार का ये दोहरा रवैया समझ से परे है।

देश के वर्तमान हालात पर चर्चा के लिए जमीयत उलेमा हिंद की वर्किंग कमेटी की अहम बैठक हुई। बैठक के अहम मुद्दों में बाबरी मस्जिद, असम नागरिकता और वर्तमान में आए दिन हो रही मॉब लिंचिंग रही। बैठक में मौलाना अरशद मदनी ने अल्पसंख्यक समुदाय, विशेषकर मुस्लिम और दलित समुदाय पर हो रहे कथित हमलों पर कहा कि वर्तमान स्थिति विभाजन के समय से भी बद्तर और खतरनाक हो चुकी है और ये संविधान के वर्चस्व को चुनौती एवं न्याय व्यवस्था पर सवालिया निशान हैं।

मौलाना ने कश्मीर समस्या पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कश्मीर समस्या का एक मात्र हल आपसी बातचीत से सम्भव है। NRC के मुद्दे पर जमीयत ने सुप्रीम कोर्ट में रिट पटीशन दाखिल की है, जिसमें नागरिकता साबित करने का वक़्त 15 दिन से बढ़ाकर 30 दिन किया जाए। बाबरी मस्जिद के मुद्दे पर जमीयत ने कहा कि कानून एवं प्रमाण के अनुसार सुप्रीम कोर्ट जो भी निर्णय देगी वो उसको मानेंगे और कोर्ट के निर्णय का सम्मान करेंगे।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

जिस ईमान खलीफ का मुक्का खाकर रोने लगी थी महिला बॉक्सर, वह मेडिकल जाँच में निकली ‘मर्द’: मानने को तैयार नहीं थी ओलंपिक कमेटी,...

पेरिस ओलंपिक में महिला मुक्केबाजी में ईमान ने गोल्ड जीता था। लोगों ने तब भी उनके जेंडर पर सवाल उठाया था और अब तो मेडिकल रिपोर्ट ही लीक होने की बात सामने आ रही है।

दिल्ली के सिंहासन पर बैठे अंतिम हिंदू सम्राट, जिन्होंने गोहत्या पर लगा दिया था प्रतिबंध: सरकारी कागजों में जहाँ उनका समाधि-स्थल, वहाँ दरगाह का...

एक सामान्य परिवार में जन्मे हेमू उर्फ हेमचंद्र ने हुमायूँ को हराकर दिल्ली के सिंहासन पर कब्जा कर लिया। हालाँकि, वह 29 दिन ही शासन कर सके।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -