शिवसेना कार्यकर्ताओं ने बुजुर्ग को चारों ओर से घेर रखा था और उसे खरी-खोटी सुना रहे थे। इस दौरान वहाँ उपस्थित कई लोग तमाशबीन बन कर देखते रहे। अंत में महिला ने स्याही भरी बोतल निकाली और बजुर्ग के सिर और गले पर उड़ेल दिया।
"तीस साल से राजनीति कर रहा हूँ और अब इस तरह के राजनीतिक माहौल में हमारे लिए कोई जगह नहीं बची है। मैं पार्टी के किसी नेता से नाखुश नहीं हूँ लेकिन ऐसी राजनीतिक परिस्थिति बनी है कि इसके बाद अब मेरे जैसे लोगों के लिए सियासत में कोई जगह नहीं।"
उद्धव ठाकरे की आलोचना पर शिवसैनिकों ने राहुल तिवारी को घर में घुस कर पीटा था। उनका सिर मुंडवा दिया था। आदित्य ने पार्टी कार्यकर्ताओं की इस गुंडई को स्वभाविक गुस्सा बताया है।
हीरामणि तिवारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन लोगों ने उनके अकेले होने का फायदा उठाया है। उनको सजा मिलनी चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उनलोगों ने उन्हें इतनी बुरी तरह से पीटा कि उनके कान का पर्दा फट गया है। उन्होंने शिव सैनिकों के खिलाफ कार्रवाई की माँग की है, ताकि फिर......
'हिंदू हृदय सम्राट' बाल ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र में सरकार बना चुके हैं। तीन पहियों वाली कभी भी पलटने वाली सरकार। अब CAA पर एक बार फिर से शिवसेना ने पलटी मारी है। वो भी कॉन्ग्रेस और UPA को आँख दिखाती हुई पलटी।
ठाकरे द्वारा जामिया के (हुड़दंगी और हिंसक) छात्रों को रोकने के लिए की गई सीमित पुलिस कार्रवाई की तुलना जलियाँवाला बाग़ हत्याकाण्ड से करने को महाराष्ट्र भाजपा के शीर्ष नेता ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। फडणवीस ने कहा है कि इससे ठाकरे ने...
'पेंडुलम हिंदुत्व' या 'पेंडुलम-त्व' के शिकार उद्धव ठाकरे का पेंडुलम एक बार फिर डोल कर हिंदुत्व से कॉन्ग्रेस-छाप सेक्युलरता के सिरे पर पहुँच गया है। उद्धव ठाकरे ने जामिया में हिंसा के ख़िलाफ़ प्रदर्शन की तुलना जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड से कर दी है।
शिवसेना का एक नेता राज्यसभा में भी नागरिकता संशोधन विधेयक पर मोदी सरकार के साथ होने की बात करता है। 10 मिनट के बाद कॉन्ग्रेस के 'वरिष्ठ नेता' राहुल गाँधी इस बिल के हर समर्थक को देश तोड़ने वाला बताते हैं। इसके 10 मिनट के बाद शिवसेना का सबसे बड़ा नेता मतलब उद्धव ठाकरे पलटी मारते हुए कहते हैं कि चीज़ें स्पष्ट नहीं, इसलिए...
इन प्रदर्शनों में सरकारी अधिकारियों और पुलिसबलों पर हमले किए गए थे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कई आन्दोलनों में हिंसा फैलाने वालों के ख़िलाफ़ चल रहे मामले वापस लिए जा रहे हैं। महाराष्ट्र के गृह मंत्रालय ने इन सभी केसों की डिटेल्स मँगाई है।
तीनों ही पार्टियाँ गृह, वित्त, हाउसिंग, राजस्व जैसे विभागों पर नज़रें गड़ाए बैठे हैं, जिनमें भ्रष्टाचार, काली कमाई और बंदरबाँट का भरपूर 'स्कोप' है। सरकार अभी 6 मंत्रियों को ही जब विभाग नहीं बाँट पा रही है, तो ज़ाहिर सी बात है मंत्रिमंडल विस्तार कर बाकी पद भरना तो और बड़ी चुनौती होगी।