जब से जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन हुआ है, तब से वहाँ चुनाव नहीं हो पाए हैं। मगर जब भी सरकार का गठन होगा तब सबसे अधिक शक्तियाँ राज्यपाल के पास होंगी। ये शक्तियाँ ऐसी ही हैं, जैसे दिल्ली के एलजी के पास होती है।
सुरक्षाबलों ने मेहराजुद्दीन को रोकने की कोशिश की तो वह रुकने के बजाए कार की स्पीड बढ़ाकर भागने लगा। तभी CRPF के जवान ने गोली चला दी, जिसमें मेहराजुद्दीन की मौत हो गई।
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद इन नेताओं की गिरफ्तारियाँ हुईं हैं। सुरक्षा के लिहाज से यहाँ इंटरनेट कनेक्शन और मोबाइल सेवा अस्थायी रूप से बंद कर दिए गए हैं। साथ ही धारा 144 भी लागू है।
महबूबा मुफ़्ती ने अमरनाथ यात्रा के इंतजामों को कश्मीरी जनता के ख़िलाफ़ बताया। उमर अब्दुल्ला ने यात्रियों के लिए हाइवे बंद करने के आरोप लगाए। सांसद मसूदी ने कहा कि इससे राज्य की इकॉनमी पर ख़राब प्रभाव पड़ रहा। सांसद अकबर लोन ने कहा कि व्यापारियों को दिक्कतें आ रही हैं।
कहानी की शुरुआत होती है जनक सिंह से, जो आर्मी अफसर थे। 15 अगस्त 1947 - देश तब आजाद हुआ था। कहानी के दूसरे पात्र हैं - मेहर चंद महाजन। यह वकील थे, फिर जज बने। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस भी रहे। कहानी के तीसरे पात्र वो हैं, जिन पर शीर्षक लिखा गया है।