मैनपुरी की एक मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए भीड़ इकट्ठा हो गई। पुलिस ने जब रोका तो मुस्लिम समाज के लोग आक्रोशित हो गए। अधिकारियों ने किसी तरह लोगों को समझा-बुझाकर हालात पर काबू पाया।
खुद को देवी का रूप बताने वाली सुभद्रा यादव लॉकडाउन के बावजूद अपने घर में लोगों को इकट्ठा कर झाड़-फूँक कर रही थी। पुलिस जब मौके पर पहुॅंची तो उसने तलवार निकाल कर कार्रवाई का विरोध किया।
गाड़ी से उतरे व्यक्ति को मास्क और ग्लब्स दिए जाते हैं और उन्हें पहनने को कहा जाता है। इसके बाद मामला संदिग्ध पाया जाने पर पुलिस उन्हें लेकर हॉस्पिटल जाती हैं। लेकिन हाँ, हॉस्पिटल ले जाने से पहले पुलिस स्प्रे मार कर गाड़ी को सैनिटाइज करना नहीं भूलती। ये है यूपी पुलिस।
पुलिस ने माईक लेकर पूरे शहर के लोगों से घरों के अंदर रहने का आह्वान किया साथ ही मस्जिदों के मौलवियों से अपील की कि वह अपने लोगों से कहें कि कुछ दिनों तक सभी लोग मस्जिद में न आकर अपने घर पर ही नमाज पढ़ें। इसके बाद ही मामला शांत हुआ।
तोमर बीजेपी के मंडल अध्यक्ष थे। AIMIM के पश्चिमी यूपी के प्रभारी आरिफ की गिरफ्तारी के बाद इस हत्या में कुरैशी की भूमिका उजागर हुई थी। लेकिन वह फरार हो गया था।
कानपुर में हुई हिंसा के लिए सरकार द्वारा गठित की गई जाँच कमेटी ने यतीमखाना में 2 लाख 80 हजार रुपए के नुकसान का आकलन करके वसूली का नोटिस 21 लोगों को जारी किया था।
गिरफ़्तार अहमद सिद्दीकी ख़ुद को 'कोरोना वाले बाबा' बताता था और साथ ही दावा करता था कि वो ताबीज से उन लोगों को कोरोना वायरस से बचाने का माध्यम दे सकता है, जिन्होंने मास्क नहीं पहना हो। उसके दावे मेडिकल की दुनिया और वैज्ञानिक तर्कों को हवा-हवाई बताते करते हुए अन्धविश्वास फैला रहे थे।
अशफाक ने सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर कर कहा है कि यूपी में उसकी जान को खतरा है, इसलिए हत्या के केस को दिल्ली या किसी अन्य राज्य में शिफ्ट किया जाए। इस मामले पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने...