वॉरविक इकोनॉमिक समिट में बैकस ने एक शोधपत्र पढ़ा था, जिसमें बैकस ने 1961 में डॉ फ्रैंक ड्रेक द्वारा दिए गए एक फॉर्मूले का इस्तेमाल यह जानने के लिए किया था कि उनके आसपास रहने वाली कितनी लड़कियाँ गर्लफ्रेंड बन सकती हैं।
भारत के कुछ भागों में प्राचीनकाल से ही आदिवासी समुदाय के लोग द्रौपदी के स्वयंवर से प्रेरित ऐसे आयोजन का हिस्सा बनते रहे हैं जहाँ लड़के-लड़कियाँ अपना जीवन साथी स्वयं चुनते हैं।