Thursday, April 18, 2024
Homeदेश-समाजदेसी वैलेंटाइन: भारत के वो मेले जहाँ लोग अपना जीवन साथी खुद चुनते हैं

देसी वैलेंटाइन: भारत के वो मेले जहाँ लोग अपना जीवन साथी खुद चुनते हैं

उत्तराखंड की भोटिया जनजाति में ‘रड़-बड़ विवाह’ की प्रथा हुआ करती थी जिसमें महिलाओं को अपना वर चुनने का अधिकार होता था जो युवतियों की इच्छाओं के मान सम्मान का परिचायक था।

इस दुनिया में हर किसी को एक जीवन साथी चाहिए होता है जिसके लिए आजकल शहरों में रहने वाले लड़के-लड़कियाँ तरह-तरह के जतन करते हैं। लेकिन भारत के कुछ भागों में प्राचीनकाल से ही आदिवासी समुदाय के लोग द्रौपदी के स्वयंवर से प्रेरित ऐसे आयोजन का हिस्सा बनते रहे हैं जहाँ लड़के-लड़कियाँ अपना जीवन साथी स्वयं चुनते हैं।

गुजरात के सुरेन्द्रनगर ज़िले में तरनेतर का मेला लगता है जहाँ पारंपरिक नृत्य इत्यादि होते हैं। विवाहिताएँ तो काले लहंगे में नाचती हैं लेकिन जो लड़कियाँ लाल लहंगे में नाचती हैं उन्हें वर चाहिए होता है। त्रिनेत्रेश्वर महादेव के मंदिर के पास लगने वाले मेले में यह परंपरा 200-250 वर्षों से चली आ रही है। यह मेला आज भी लगता है तथा कुछ मात्रा में जीवनसाथी पसन्द भी किए जाते हैं।

छत्तीसगढ़ में ऐसा ही भगोरिया मेला लगता है। भगोरिया एक उत्सव है जो होली का ही एक रूप है। यह मध्य प्रदेश के मालवा अंचल के आदिवासी इलाकों में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। भगोरिया के समय धार, झाबुआ, खरगोन आदि क्षेत्रों के हाट-बाजार मेले का रूप ले लेते हैं और हर तरफ फागुन और प्यार का रंग बिखरा नजर आता है।

भगोरिया हाट-बाजारों में युवक-युवती बेहद सजधज कर अपने भावी जीवनसाथी को ढूँढने आते हैं। इनमें आपसी रज़ामंदी ज़ाहिर करने का तरीका भी बेहद निराला होता है। सबसे पहले लड़का लड़की को पान खाने के लिए देता है। यदि लड़की पान खा ले तो हाँ समझी जाती है। इसके बाद लड़का लड़की को लेकर भगोरिया हाट से भाग जाता है और दोनों विवाह कर लेते हैं। इसी तरह यदि लड़का लड़की के गाल पर गुलाबी रंग लगा दे और जवाब में लड़की भी लड़के के गाल पर गुलाबी रंग मल दे तो भी रिश्ता तय माना जाता है।

बिहार के मिथिला क्षेत्र के मधुबनी में सौराठ सभा अर्थात दूल्हों का मेला लगता है। यह मेला हर साल ज्येष्ठ या अषाढ़ महीने में 7 से 11 दिनों तक लगता है जिसमें कन्याओं के पिता योग्य वर को चुनकर अपने साथ ले जाते हैं। यह एक प्रकार से सामूहिक अरेंज मैरिज होता है। इस सभा में लड़के अपने पिता व अन्य अभिभावकों के साथ आते हैं। कन्या पक्ष के लोग वरों और उनके परिजनों से बातचीत कर एक-दूसरे के परिवार कुल-खानदान के बारे में पूरी जानकारी इकट्ठा करते हैं और दूल्हा पसंद आने पर रिश्ता तय कर लेते हैं।

सौराठ सभा में पारंपरिक पंजीकार होते हैं जो तय हो चुके रिश्ते का पंजीकरण करते हैं। पंजीकार के पास वर और कन्या पक्ष की वंशावली होती है। उसमें पंजीकार दोनों तरफ की सात पीढ़ियों के उतेढ़ (विवाह का रिकॉर्ड) का मिलान करते हैं। दोनों पक्षों के उतेढ़ देखने पर जब पुष्टि हो जाती है कि दोनों परिवारों के बीच सात पीढ़ियों में इससे पहले कोई वैवाहिक संबंध नहीं हुआ है, तब पंजीकार रिश्ता पक्का करने की स्वीकृति देता है।

छत्तीसगढ़ की मुरिया और गोंड जनजाति के लोगों में लड़के लड़कियों के स्वछंद मिलन की प्रथा है जिसे घोटुल कहा जाता है। घोटुल एक बड़े कुटीर को कहते हैं जिसमें पूरे गाँव के बच्चे या किशोर सामूहिक रूप से रहते हैं। यह छत्तीसगढ़ के बस्तर ज़िले और महाराष्ट्र व आंध्र प्रदेश के पड़ोसी इलाक़ों के गोंड ग्रामों में विशेष रूप से मिलते हैं। अलग-अलग क्षेत्रों की घोटुल परंपराओं में अंतर होता है।

कुछ में बच्चे घोटुल में ही सोते हैं और अन्य में वे दिन भर वहाँ रहकर रात को अपने-अपने घरों में सोने जाते हैं। घोटुल में क़बीले से संबंधित आस्थाएँ, ज्ञान, नृत्य-संगीत और कथाएँ सीखी जाती है। कुछ में किशोर किशोरियाँ आपस में बिना बाधा मिलकर जीवन साथी भी चुना करते हैं जिसे आज के ज़माने की ‘डेटिंग’ जैसा समझा जा सकता है। हालाँकि यह आधुनिक शहरी मान्यताओं के दबाव में धीरे-धीरे कम हो रहा है।

इसी प्रकार उत्तराखंड की भोटिया जनजाति में ‘रड़-बड़ विवाह’ की प्रथा हुआ करती थी, जिसमें महिलाओं को अपना वर चुनने का अधिकार होता था। इस प्रथा में विशाल मेले का आयोजन किया जाता था और लोग बड़ी मात्रा में इसमें हिस्सा लेकर अपना मनचाहा जीवन साथी चुन सकते थे। यह परंपरा उत्तराखंड में प्राचीन समय से ही महिलाओं की इच्छाओं के मान सम्मान का भी परिचायक है।

स्रोत:- विकिपीडिया और अन्य वेबसाइट से संकलित

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका लेकर गई मुस्लिम लड़की, कहा- 12वीं से पहले निकाह की न हो इजाजत: मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने खारिज...

कलकत्ता हाई कोर्ट ने उस मुस्लिम महिला की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मुस्लिम लड़कियों को निकाह से 12वीं पास करना अनिवार्य हो।

‘देश हो या परदेस मोदी की गारंटी हमेशा पूरी होती है’: ईरान ने जिस जहाज को बनाया बंधक, उस पर सवार भारतीय महिला ऐन...

त्रिशूर की रहने वाली भारतीय डेक कैडेट एन टेसा जोसेफ, जो कंटेनर जहाज एमएससी एरीज़ के भारतीय चालक दल के सदस्यों में से थीं, आज दोपहर कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सुरक्षित रूप से उतर गई हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe