नार्थ-ईस्ट दिल्ली में हालात अभी भी तनावपूर्ण हैं। मौजपुर और ब्रह्मपुरी इलाके में पत्थरबाजी की खबर है। कई वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया। दिल्ली पुलिस और आरएएफ के जवान इलाके में मार्च कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर ट्रैफिक जाम करने का प्रयास किया। पुलिसकर्मियों के साथ अभद्रता की। महिला पुलिसकर्मियों के साथ भी धक्का-मुक्की की गई और बैरिकेड तोड़ने की कोशिश हुई। अग्निश्मन दस्ते को मौके पर पहुॅंचने से रोका गया।
पहले एडिटेड वीडियो के जरिए दिल्ली पुलिस को बदनाम करने और दंगाइयों को पाक-साफ बताने की कोशिश की गई। हालॉंकि समय बीतने के साथ पूरी तस्वीर पलट गई और लिबरलों के प्रपंच का किला रेत की महल के माफिक ढह गया।
हाथ में पत्थर लेकर और चेहरे पर नकाब बाँध कर लाइब्रेरी में कौन सी पढ़ाई की जाती है, ये जामिया के उपद्रवी ही बता पाएँगे। वीडियो में कुछ उपद्रवियों को पत्थर लेकर लाइब्रेरी में घुसते हुए देखा जा सकता है। ये वो दंगाई हैं, जो 15 दिसंबर को पुलिस से बचने के लिए यहाँ छिपे थे।
नए वीडियो में देखा जा सकता है कि लाइब्रेरी के दरवाजे पर एक व्यक्ति खड़ा है, जो भाग कर आ रहे नकाबपोशों को अंदर घुसा रहा है। जाहिर है पुलिस ने यूँ ही किसी पर कार्रवाई नहीं की। उसने उपद्रवियों को चिह्नित कर एक्शन लिया।
पटना में जिस जगह हिंसा भड़की उसके करीब ही सब्जीबाग है। यहॉं दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर सीएए के विरोध में प्रदर्शन चल रहा है। उपद्रवियों ने वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया।
गिरफ्तार किए गए मोहम्मद उमर, सैयद अब्दुल, फैज़ान, वासिफ और सरवर पर बाबूपुरवा और यतीमखाना में हिंसा भड़काने का आरोप है। मेरठ में हिंसा से ठीक पहले 4 खातों में 3 करोड़ रुपए डाले गए थे।
फिरोज बख्त ने सीएए के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा, "मोदी और उनके साथियों सलाम कि उन्होंने ऐसे लोगों (पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों) को नागरिकता देने का निर्णय लिया है।"
मुर्शिदाबाद में CAA के विरोध में बुलाई गई बंद के दौरान हिंसा भड़की। टीएमसी, माकपा और कॉन्ग्रेस एक-दूसरे को इसके लिए कसूरवार ठहरा रहे हैं। कई वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया।