रैली की वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से शेयर की जा रही है। जिसमें हम देख सकते हैं कि हजारों ट्रैक्टरों-ट्रकों के साथ ये रैली निकाली गई है। कई किसान इस रैली में मौजूद हैं।
एक समय में स्वामीनाथन रिपोर्ट को 8 साल तक दबाए रखने वाली कॉन्ग्रेस, आजाद मंडी का माँग करने वाली AAP, कृषि सुधार की माँग करने वाले अकाली दल की मंशा पर उन्होंने सवाल उठाया।
दिल्ली हरियाणा बॉर्डर पर जारी किसानों का विरोध प्रदर्शन ‘शाहीन बाग़’ बनने की राह पर है। चाहे वह कट्टरपंथियों की तस्वीरें लेकर उनकी रिहाई की माँग करना हो या प्रदर्शनकारियों द्वारा मीडियाकर्मियों पर हमला की कोशिश हो।
पहले तथाकथित प्रदर्शनकारी विरोध स्थलों पर मसाज पार्लरों और जिम के साथ अपने विरोध को आगे बढ़ा रहे थे। वहीं अब इन 'किसानों' ने सार्वजनिक सड़कों को पिकनिक स्पॉट में बदल दिया है।
नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके फायदे को लेकर किसानों को फिर से भरोसा दिलाया है। उन्होंने कहा है कि इससे नए विकल्प, नए बाजार और तकनीक मिलेंगे।
भारतीय किसान यूनियन की याचिका में माँग की गई है कि कृषि सुधार क़ानूनों से संबंधित पूर्व याचिकाओं पर सुनवाई हो। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि क़ानून कृषि क्षेत्र को निजीकरण की तरफ लेकर जाएँगे।