Thursday, April 18, 2024
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‘अवॉर्ड वापसी गैंग’ वालों को पुरस्कार खेती में मिला क्या? – पद्मश्री विजेता और जैविक खेती करने वाले भारत भूषण ने लताड़ा

पद्मश्री विजेता किसान ने स्पष्ट किया कि सरकार की मंशा में कोई खोट नहीं है। उन्होंने मंडियाँ और MSP खत्म होने की चर्चाओं को भी निराधार और अफवाह बताया।

‘किसान आंदोलन’ के बीच केंद्र सरकार को कृषि कानूनों को लेकर किसानों का समर्थन भी मिल रहा है। जहाँ एक तरफ 20 किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर के सरकार को अपना समर्थन दिया, वहीं दूसरी तरफ पद्मश्री सम्मान विजेता किसान भारत भूषण त्यागी ने नए ‘अवॉर्ड वापसी गैंग’ को आड़े हाथों लिया। उन्होंने पूछा कि क्या इन लोगों को ये अवॉर्ड खेती में पुरस्कार स्वरूप मिला?

उन्होंने कहा कि महज झूठी ख्याति प्राप्त करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। उन्होंने ‘News 18’ के उमेश श्रीवास्तव के साथ बातचीत में कहा कि कृषि कानूनों को हमें द्विपक्षीय रूप में समझना चाहिए। इससे न सिर्फ बिचौलियों की अंधेरगर्दी ख़त्म होगी, बल्कि खेती के कई नए विकल्प भी खुल रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार की मंशा में कोई खोट नहीं है। उन्होंने मंडियाँ और MSP खत्म होने की चर्चाओं को भी निराधार और अफवाह बताया।

उन्होंने कहा कि ये अफवाह फैलाई जा रही है कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के कारण किसानों की जमीनें कॉर्पोरेट कंपनियाँ हड़प लेंगी। उन्होंने याद दिलाया कि जहाँ सरकार ने MSP पूर्ववत बने रहने की बात कही है, वहीं वास्तु अधिनियम में भण्डारण को संरक्षित करने की बात भी कही गई है। उन्होंने किसानों को समझाया कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में जमीन कोई मुद्दा है ही नहीं। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि वो जब सरकार से बातचीत करने जाएँ, तो विरोध वाली मानसिकता न रखें।

उन्होंने समझाया कि विरोध वाली मानसिकता से बातचीत करने से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आते हैं। 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किसान ने कहा कि मंडियों और बाजारों के जरिए किसानों को जो उचित मूल्य नहीं मिला करता था, उसका समाधान इस कानून में किया गया है। उन्होंने इसे एक सार्थक पहल करार देते हुए कहा कि किसानों को इससे कोई नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि ये गलत भ्रम है।

जैविक खेती को देश-विदेश में पहुँचाने वाले बुजुर्ग किसान भारत भूषण त्यागी बुलंदशहर जनपद की स्याना तहसील क्षेत्र स्थित बीहटा गाँव के निवासी हैं। वो एक प्रगतिशील किसान हैं, जिन्होंने जैविक खेती के लिए कइयों को जागरूक किया है। उनके फार्म पर मंत्री से लेकर प्रशासनिक अधिकारी तक पहुँचते रहते हैं और जैविक खेती के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। अब उन्होंने कृषि कानूनों का समर्थन किया है।

20 सदस्यीय किसानों के प्रतिनिधिमंडल का सरकार को ज्ञापन

उधर जिन 20 किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने सरकार को समर्थन दिया है, उनमें से अधिकतर पंजाब के पड़ोसी राज्य हरियाणा के ही हैं। उन्होंने अपने ज्ञापन में कहा कि हम हरियाणा के 70,0000 PFO से जुड़े और 50,000 प्रगतिशील किसान इस कानून के समर्थन में हैं। उन्होंने सुझाए गए संशोधनों के साथ इन तीनों कानूनों को जारी रखने की अपील की और कहा कि इन्हें वापस न लिया जाए। उन्होंने अपील की कि इस कानून को सरकार दबाव में आकर रद्द न करें।

आपको उत्तर प्रदेश के बागपत स्थित सिसाना गाँव के बारे में भी जानना चाहिए, जहाँ 30 वर्षों से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग हो रही है। इस गाँव की सफलता की दास्तान इसी से समझ लीजिए कि यहाँ के किसानों को अपनी उगाई सब्जियों के भाव दिल्ली स्थित आजादपुर मंडी से ज्यादा मिलती है, जो देश की शीर्ष मंडी कही जाती है। यहाँ के किसानों ने अपने निजी अनुभव शेयर कर न सिर्फ कृषि कानूनों का समर्थन किया, बल्कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की सफलता की दास्तान भी सुनाई।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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