कॉन्ग्रेस के स्थानीय नेताओं को निर्देश दिया गया है कि वो आसपास के अस्पतालों में कुछ बेड्स व अन्य सुविधाएँ पहले से ही ब्लॉक कर के रखें, जिन्हें अपने नेताओं के निवेदन पर ही मुक्त किया जाए।
यूनिवर्सिटी में कहा गया है कि कोई भी सरकारी निकाय केवल तीन साल कार्यरत रह सकता है, उसके बाद उसका फिर से चयन होगा। हालाँकि, इस केस में इस पूरे मामले की अनदेखी की गई है।
ऐसा क्या है जिसने कॉन्ग्रेस को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की वकालत करने के लिए मजबूर कर दिया है? किस कारण कॉन्ग्रेस और उसके युवराज राहुल गाँधी लगातार मोदी सरकार पर राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाने का दबाव बना रहे हैं?