उत्तराखंड के घने जंगल में एक गाय भटक गई थी और पानी न मिलने के कारण चलने में असमर्थ हो चुकी थी। गाय को जंगल में ऐसे हालात में देखकर उत्तराखंड के इस नौजवान ने उसको अपने कंधे पर उठाया और काफी दूर पैदल चल कर इसे पानी के स्रोत तक पहुँचा कर गाय की जान बचाई।
उनकी गौशाला में गायों के लिए एक स्पेशल एम्बुलेंस भी है। अगर किसी गाय की मृत्यु निकट आ जाए और उसके बचने की कोई संभावना न रहे, तब सुदेवी उसे गंगाजल का सेवन कराती है।
स्थानीय लोग द्वारा जहाँ-तहाँ बैठी गायों के साथ सेल्फी लेकर नगर निगम प्रशासन को टैग कर रहे हैं। ऐसे में उन पर दबाव बन रहा है कि वह गायों को नए बने काउ शेल्टर पहुँचाए।
15 वर्षों तक सत्ता में रही भाजपा सरकार ने गो-माता सम्बन्धी अपराधों में ज्यादा ध्यान नहीं दिया, वहीं गाय माता के प्रति CM कमलनाथ भाजपा से ज्यादा संवेदनशील हैं और गो हत्या के मामलों पर बिलकुल भी नरमी बरतने के मूड में नहीं दिख रहे हैं।
भारत में यदि यह घटना घटी होती तो लोग इस घटना को भी सांप्रदायिक बनाने में लग जाते, ऐसे लोगों को बंग्लादेश के इस घटना से समझने की ज़रूरत है कि गायों की रक्षा के लिए सिर्फ़ भारत में ही नहीं बल्कि बंग्लादेश जैसे मुस्लिम देश में भी गौरक्षक हैं।
आबकारी विभाग के आँकड़ों की मानें तो वर्तमान में हो रही शराब और बीयर की बिक्री के हिसाब से एक साल में गौ रक्षा के लिए लगभग 165 करोड़ रुपए जुटाया जा सकेगा
अलीगढ के इगलास थाना इलाके में मथुरा रोड पर अज्ञात लोगों ने नहर किनारे एक गड्ढे में जिंदा गायों को दफन करने का मामला सामने आया है। पुलिस ने मृत गायों को पोस्टमोर्टेम के लिए अस्पताल भेज दिया है।