ऑपइंडिया पर ABVP JNU के छात्र मनीष जांगिड़ का वो इंटरव्यू, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे साज़िश के तहत जेएनयू में हिंसा हुई और तुरंत कॉन्ग्रेस व वामपंथी नेता पहुँच गए। उन्होंने राहुल कँवल पर भी बड़ा आरोप लगाया। जेएनयू में कैसे वामपंथी गुंडों को बचाया जा रहा है, जानें मनीष के शब्दों में।
इस वीडियो में कुछ बातें जो इंडिया टुडे की रिपोर्टर को कहते सुनी जा सकती हैं, उनमें सर्वर और चेहरे पहचाने जाने के बारे में बातें हैं। युवक इंडिया टुडे की रिपोर्टर से कह रहा है कि CCTV चल नहीं रहा था तो चेहरा पहचान नहीं पाए लेकिन वीसी ने तो कहा सर्वर सेम है, और मेल जा रहे थे।
आख़िर क्या कारण था कि एक संस्कृत विभाग में शोध करने वाले नेत्रहीन छात्र के कमरे में ही उग्र भीड़ ने उनकी जम कर पिटाई कर दी। भीड़ में से एक लड़की ने कहा- "मारो साले को" और रॉड लेकर वो पिल पड़े। जेएनयू हिंसा की कहानी, एक पीड़ित नेत्रहीन छात्र की जुबानी।
तनुश्री पांडेय, जो कि इंडिया टुडे समूह की ही पत्रकार हैं, एक ट्वीट के साथ दावा करती हैं कि उन्होंने सूचना एवं संचार के सर्वर से भेजे गए ई-मेल्स को निकाल लिया है। ज्ञात हो कि JNU प्रशासन पहले ही बता चुका है कि यह सर्वर 4 जनवरी को लेफ्टिस्ट गुंडों द्वारा तोड़ दिया गया था।
"#JNU कवरेज से जुड़ी एक क्लिप में दिख रही पुरानी तारीख के संबंध में स्पष्ट करना चाहते हैं कि कैमरे की सेटिंग्स अपडेटेड नहीं थीं। इससे जो ग़लतफहमी पैदा हुई है, उसके लिए हमें खेद है।"
इंडिया टुडे समूह के पत्रकार राहुल कंवल इस वीडियो में बता रहे हैं कि किस प्रकार उनके 2 खोजी पत्रकारों- जमशेद खान और नितिन जैन की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने कथित ABVP कार्यकर्ता अक्षत अवस्थी का पर्दाफाश किया है।
JNU में हुई हिंसा में छात्र संघ प्रेसीडेंट आइशी घोष समेत चुनचुन कुमार, पंकज मिश्रा, प्रियरंजन, योगेंद्र भारद्वाज, वास्कर विजय मेक, सुचिता तालुकदार, डोलन सामंता और विकास पटेल का नाम शामिल है। हिंसा के पीछे एक व्हाट्सएप ग्रुप का भी हाथ है, जिसका नाम है- यूनिटी अगेन्स्ट लेफ्ट।
यूपी के दंगाइयों से संवेदना जताती प्रियंका गॉंधी। जेएनयू हिंसा के घायल छात्रों पर आँसू बहाती प्रियंका गॉंधी। अब देखिए कॉन्ग्रेस महासचिव का वो चेहरा जिससे पता चलता है कि उनके लिए राजनीति से बढ़कर कुछ भी नहीं है।
ये JNUSU छात्र बिना किसी विरोध के उन मासूम आम छात्रों के साथ ये सब करने में कामयाब रहे, क्योंकि उस दौरान आसपास एक भी AVBP के छात्र नहीं थे। नकाबपोश चेहरे वाले वहाँ कई छात्र खड़े थे। हम में से कई लोग संदेह कर रहे थे कि उनमें से कुछ हमारे छात्र नहीं हो सकते हैं और कुछ जामिया मिलिया के हो सकते हैं।
"यहाँ विचारधारा थोपने का काम होता है, हेल्दी डिबेट की कोई बात ही नहीं बची है। सभी को वामपंथी विचार को ही अपना विचार बनाने के लिए दबाव बनाया जाता है। आप उनसे अलग रहेंगे तो वामपंथी छात्र और यहाँ के कई वामपंथी प्रोफ़ेसर आपका यहाँ रहना मुश्किल कर देंगे।"