राह चलते किसी को पकड़ लो। उससे कुछ बुलवा दो। फिर उसे TV पर दिखाओ... और किसी को बदनाम कर दो। जब हंगामा हो तो सोशल मीडिया पर चुपके से एक ट्वीट डाल दो। - यह NDTV का फॉर्मूला है। दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों में कपिल मिश्रा को बदनाम करने के लिए भी यही तरीका अपनाया NDTV ने, लेकिन दाँव उल्टा पड़ गया - बहुत गाली पड़ रही है।
करीब 40 पुलिसकर्मियों ने गुरुवार सुबह 9 बजे से ही कोर्ट में घेराबंदी कर रखी थी। कोई छोले-कुलचे वाले के पास ग्राहक बनकर खड़ा था तो कोई पार्किंग अटेंडेंट बनकर। कोई चायवाला बना था तो कोई मुंशी। कई पुलिसवाले वकील बने भी घूम रहे थे।
NDTV का रिपोर्टर, कैमरा और माइक - सामने खड़ा संजय गुप्ता नाम का एक आदमी। इस आदमी के अनुसार कपिल मिश्रा के 'भड़काऊ' भाषण के बाद हिंसा भड़की। लेकिन असली खबर इसके बाद है। NDTV इस आदमी को कपिल मिश्रा का मकान मालिक बताता है, जबकि सच्चाई यह है कि संजय नाम को कोई भी शख्स कपिल मिश्रा का कभी भी मकान मालिक नहीं रहा।
दंगाइयों ने दिलबर सिंह नेगी के हाथ और पैर काटने के बाद उनके शरीर के बाकी हिस्से को जलती आग में फेंक दिया था। दिलबर सिंह नेगी उत्तराखंड के पौड़ी जिले स्थित थलीसैण ब्लॉक से सम्बन्ध रखते थे।
छानबीन के दौरान पुलिस ने शाहरुख का एक दूसरा मोबाइल फोन भी बरामद किया है। इससे पहले पुलिस ने उसकी कार और एक फोन भी बरामद किया था। दिल्ली पुलिस ने बरामद की गई सभी चीजों की जाँच के लिए फोरेंसिक लैब में भेज दिया है।
दोनों प्रतिबंधित चैनलों पर आरोप है कि दिल्ली दंगों के दौरान रिपोर्टिंग में किसी विशेष समुदाय के पूजा स्थल पर हमले की खबर दिखाई गई है और उस पर एक समुदाय का पक्ष लिया गया। केंद्र सरकार ने अपने आदेश में कहा कि चैनलों ने दिल्ली हिंसा में पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग की थी।
आसमानी गुलेलों और पेट्रोल बम की पड़ताल करना न्यूज़लॉन्ड्री जैसों के लिए अपने अन्नदाताओं को निराश करने वाली बात होगी। इसलिए अपने अन्नदाताओं के खिलाफ जाकर पतझड़ कुमार को कोई कदम नहीं उठाना चाहिए, ऐसा न हो कि उनके खिलाफ जाते ही भारत में बेरोजगारी के आँकड़ों में पतझड़ कुमार भी योगदान करते हुए नजर आएँ।
दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों के आरोपित, आईबी के अंकित शर्मा की नृशंस हत्या के मामले में मुख्य आरोपित ताहिर हुसैन को दिल्ली पुलिस ने आज शुक्रवार को कड़कड़डुमा कोर्ट में जज के घर पेश किया था, जिन्होंने आरोपित को 7 दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया।
गृह मंत्रालय ने यह प्रतिक्रिया एबीपी न्यूज़ की उन दो रिपोर्ट्स के पब्लिश होने पर दी जिसमें कहा गया था कि गृह मंत्रालय दिल्ली हिंसा से निपटने के दिल्ली पुलिस के तरीके से असंतुष्ट है और वह इसके लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर कार्यवाही कर सकता है।
परिजन बताते हैं कि दंगाई भीड़ ने जिस समय नरेश पर हमला किया उस समय वह बिलकुल निहत्थे थे, वे घर के पास स्थित मंदिर को बचाने निकले थे, मगर उन्हें क्या पता था कि उस दंगाई भीड़ का कहर उनपर ही टूटेगा।