एनजीटी ने इस दौरान क्रिकेट मैदान की सिंचाई में इस्तेमाल होने वाले पेयजल पर चिंता जताई है। उन्होंने एक विशेषज्ञ समिति को पानी बचाने के उपाय पर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
ग्रेटा कहती हैं कि इन समस्याओं से जूझने के लिए सबसे बड़ा उपाय है कि हर व्यक्ति को पढ़ना चाहिए और खुद को शिक्षित बनाना चाहिए। तभी लोग समझ पाएँगे कि उन्हें क्या करना है। वो कहती हैं कि वो सिर्फ़ एक बच्ची हैं और संदेशवाहक की भूमिका में है।
इस समस्या से उबरने के लिए पूरी दुनिया को एक होने की जरुरत है, हम सब को अपने अपने स्तर पर कोशिश करते रहने की जरुरत है। हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने के पीछे भी यही मकसद है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जा सके। लेकिन साल के किसी एक दिन को इस तरह की दिवस मनाकर हम इस विकराल समस्या को नही सुलझा सकते, इसके लिए पूरे वर्ष सतत प्रयास करते रहने की जरूरत है।
प्रदर्शनकारी गैलरी में बनी काँच की दीवार से सटकर खड़े थे और इनकी पीठ सांसदों की तरफ थी। इनकी छाती पर 'सबकी जिंदगी के लिए' (For All Life) जैसे नारे लिखे थे।
भाई और पत्नी के निधन के बाद विश्वेश्वर के लिए उनका दुख भूल पाना मुश्किल था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वो मौत का दुख सहने के लिए पौधे लगाने लगे। अंतिम सांस लेने तक उन्होंने पर्यावरण को सुरक्षित करना अपना ज़िम्मा समझा