पी चिदंबरम आईएनएक्स मीडिया मामले में अभी तिहार जेल में बंद हैं। इससे पहले उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की कस्टडी में भेज दिया था। चिदंबरम ने ख़ुद के उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कहा कि वह जल्द लौटेंगे।
यह मुलाकात कॉन्ग्रेस पार्टी के आला नेताओं का स्कोर गेनिंग का एक प्रयास है। क्योंकि पार्टी लगातार इसे ऐसा दिखाना चाहती है जैसे यह भयंकर भ्रष्टाचार के कारण नहीं बल्कि राजनीतिक दुश्मनी की वजह से उठाया गया कदम है। इससे पहले, कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद और अहमद पटेल पिछले हफ्ते तिहाड़ जेल में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम से मुलाकात कर चुके हैं।
पी चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में पेशी के दौरान कहा कि चिदंबरम को तिहाड़ जेल में लेटने के लिए बिस्तर तो मिला है, लेकिन तकिया नहीं दिया गया है। बैठने के लिए कुर्सी भी नहीं मिल रही है, जिसके कारण उन्हें जमीन पर बैठना पड़ता है।
सिब्बल ने कहा कि चिदंबरम को कई बीमारियाँ हैं और हिरासत में रहने के कारण उनका वज़न भी कम हुआ है। बता दें कि कॉन्ग्रेस नेता पाँच सितंबर से न्यायिक हिराासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं।
भाजपा को आम तमिल ही नहीं, राज्य की प्रभावशाली हस्तियों के भी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इनमें फिल्म अभिनेताओं रजनीकांत और कमल हासन के नाम भी शामिल हैं।
गृह मंत्री रहते चिदंबरम ने हिंदी के पूरे देश की भाषा बनने की उम्मीद जताई थी। सरकारी दफ्तरों में संवाद के लिए हिंदी के इस्तेमाल पर जोर दिया था। लेकिन, अब जिस तरह उनकी पार्टी और गठबंधन के साथी अमित शाह के बयान पर जहर उगल रहे हैं उससे जाहिर है यह अंध विरोध के अलावा कुछ भी नहीं।
चिदंबरम ने ट्वीट में बिगड़ी अर्थव्यवस्था का जिक्र किया। उन्होंने देश से घटते निर्यात को लेकर चिंता जताई। मौजूदा हालात का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान इस देश को बचाए।
एन राम चिदंबरम को जेल भेजने के लिए देश की अदालतों की आलोचना करने से भी नहीं चूके। उन्होंने कहा कि इस गिरफ्तारी की साजिश करने वालों का मकसद सिर्फ और सिर्फ चिदंबरम की आजादी पर बंदिश लगाना था और दुर्भाग्यवश देश की सबसे बड़ी अदालतें भी इसकी चपेट में आ गईं।
आईएनएक्स मीडिया को 2007 में 305 करोड़ रुपए की विदेशी रकम हासिल करने के लिए नियमों से परे जाकर एफआईपीबी की मंजूरी दी गई थी। उस वक्त चिदंबरम वित्त मंत्री थे। सीबीआई ने 2017 में प्राथमिकी दर्ज की थी। बाद में ईडी ने भी मामला दर्ज किया था।
वकील रहे पी चिदंबरम का यह मामला भारतीय कानून के इतिहास में संभवत चुनिंदा मामलों में से एक होगा, जहाँ खुद आरोपित ही न्यायिक हिरासत के बजाय संस्थागत हिरासत (CBI/ED) में जाना चाहते हैं। जानकारों की मानें तो तिहाड़ जेल में चिदंबरम को वो सुख-सुविधाएँ नहीं मिल पा रही हैं, जो...