ईकाई अध्यक्ष ने कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा पर प्रदेश में हिंसा फैलाने के लिए वित्तीय मदद करने का आरोप लगाया है। साथ ही कहा कि प्रियंका गाँधी प्रदेश में हिंसा भड़काने के लिए दूसरे प्रदेशों के दंगाइयों को ला रही हैं।
जब कॉन्ग्रेस नेता प्रियंका गाँधी वाड्रा घायल छात्रों से मिलने एम्स गईं थी, तो उनके समर्थकों ने सबसे पहले घायल छात्रों से यही पूछा कि उनका संबंध किस विचारधारा से है। एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि प्रियंका गाँधी ने कुछ छात्रों को शॉल दी, लेकिन बाद में उनके कार्यकर्ताओं ने शॉल वापस ले ली।
इससे पहले ऐसी ही अराजकता प्रियंका के लखनऊ दौरे के दौरान भी देखने को मिली थी। एक वीडियो में प्रियंका के साथ खड़े लोग महिला अधिकारी के साथ धक्का-मुक्की करते नजर आए थे।
"अति दुःखद है कॉन्ग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व व खासकर प्रियंका गाँधी की इस मामले में चुप्पी साधे रखना। अच्छा होता कि वह यूपी की तरह उन गरीब पीड़ित माँओं से भी जाकर मिलतीं, जिनकी गोद केवल उनकी पार्टी की सरकार की लापरवाही के कारण उजड़ गई हैं।"
वक्त है चेत जाने का। खुद की आवाज बनने का। गिरोह घात लगाए बैठा है। उसे नहीं कुचला तो वह गजवा-ए-हिंद के ख्वाब बुनने वालों के पीठ पर हाथ फेरेगा और आपको भगवा आतंकवादी घोषित कर देगा।
"हिंसा किसने शुरू की, इसकी जाँच होनी चाहिए, क्योंकि कौन जानता है कि आगजनी किसने शुरू की। आप बिना जाँच के कैसे कार्रवाई कर सकते हैं? पहले यह पता करें कि हिंसा किसने शुरू की?"
अपने दुख को भूल डॉ. अर्चना सिंह यह सुनिश्चित करने में जुटी थीं कि प्रियंका गॉंधी की सुरक्षा में सेंध न लगे। तब शायद ही उन्होंने सोचा होगा कि प्रियंका के सामने उनके साथ बदसलूकी होगी और उलटे आरोप उन पर ही मढ़ दिया जाएगा।
कॉन्ग्रेस ने जो वीडियो जारी किया है उसमें कहीं भी महिला अधिकारी प्रियंका गॉंधी का गला पकड़ते या प्रियंका जमीन पर गिरती नजर नहीं आतीं, जैसा उन्होंने दावा किया था। उलटे महिला अधिकारी के साथ प्रियंका गॉंधी के साथ खड़े लोग ही धक्का-मुक्की कर रहे हैं।
पहले वे जनेऊधारी हिंदू बने। फिर दत्तात्रेय गोत्री। पर जब मौका आया तो कॉन्ग्रेस ने न बहुसंख्यकों की भावना का मान रखा और न देशहित का। तुष्टिकरण के फेर में न वह नेहरू के साथ निभा पाई और न ही उनसे पल्ला छुड़ा पाई।
"कई लोगों ने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है। बावजूद इसके सोनिया, प्रियंका और ओवैसी साजिश के तहत लोगों को उकसाने वाले बयान दे रहे हैं। इससे जामिया में हिंसा भड़की। रवीश कुमार ने इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और अन्य जगहों पर हिंसा हुई।"