20 मार्च को इस्तीफे की घोषणा करने के लिए मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने आवास पर एक पत्रकार वार्ता की थी। जिसमें से एक पत्रकार की बेटी की कोरोना वायरस की जाँच में रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई है।
इस प्रस्ताव का सदन में मौजूद सभी 107 बीजेपी विधायकों के अलावा 2 निर्दलीय, बीएसपी और एक एसपी के विधायक ने समर्थन किया। बहुमत प्रस्ताव पारित कराने के लिए सदन में आसंदी पर मौजूद सभापति जगदीश देवड़ा ने मतदान की औपचारिकता पूरी करवाई। इस दौरान हुए मतदान में विश्वास मत को ध्वनिमत के जरिए सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।
मध्य प्रदेश के इतिहास में पहला मौका होगा, जब कोई चौथी बार मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुआ है। शिवराज सिंह ने अकेले ही शपथ ली और उनके साथ आज कोई मंत्री शामिल नहीं हुआ।
शिवराज सिंह के अलावा अब तक अर्जुन सिंह और श्यामाचरण शुक्ल तीन-तीन बार सीएम रहे हैं। मगर, इस बार शिवराज के साथ-साथ नरेंद्र सिंह तोमर और नरोत्तम मिश्रा के नाम की भी चर्चा थी। लेकिन अब, भाजपा आलाकमान ने शिवराज के नाम ही मुहर लगा दी है।
22 विधायकों की बगावत ने ही मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस सरकार की विदाई की पटकथा लिखी थी। शुरुआत में विधानसभा स्पीकर इनका इस्तीफा स्वीकार करने से टालमटोल कर रहे थे। लेकिन, गुरुवार को फ्लोर टेस्ट के सुप्रीम कोर्ट के बाद इनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया था।
मध्य प्रदेश की सियासत का संदेश स्पष्ट है। भले जितनी मजबूत राजनीतिक विरासत मिले, निर्णायक जमीनी पकड़ ही है। यही कारण है कि कॉन्ग्रेस तमाम जतन के बावजूद अपनी सरकार बचाने में नाकाम रही। वरना विरासत की राजनीति तो कॉन्ग्रेस के शीर्ष परिवार के चिरागों को भी मिली हुई है।
मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं। 2 विधायकों का निधन हो चुका है। कॉन्ग्रेस के 22 और बीजेपी के एक विधायक के इस्तीफे स्वीकार किए जाने के बाद 205 विधायक बचे हैं। यानी सरकार को बहुमत साबित करने के लिए 103 विधायकों का समर्थन चाहिए। बीजेपी के पास 106 विधायक हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत साबित करने के लिए आज शाम पॉंच बजे तक का वक्त दिया है। उससे पहले ही कमलनाथ के इस्तीफे की चर्चा जोरों पर है। मौजूदा गणित के हिसाब से बहुमत के लिए 104 विधायकों का समर्थन चाहिए। बीजेपी विधायकों की संख्या 107 है।
मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट को लेकर मचे घमासान पर सुप्रीम कोर्ट में आज बृहस्पतिवर को तीसरे दिन भी सुनवाई शुरू हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कल यानी शुक्रवार (मार्च 20, 2020) को सत्र बुलाकर फ्लोर टेस्ट किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाथ उठाकर बहुमत परिक्षण करवाने के भी निर्देश दिए।
कमलनाथ सरकार पर मौजूदा संकट की बड़ी वजह माने जा रहे दिग्विजय सिंह ने बागी विधायकों से मुलाकात को लेकर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश जारी करने से इनकार करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी।