Friday, February 28, 2025
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भूख हड़ताल, हिरासत के बाद दिग्विजय सिंह को डबल झटका: HC ने नहीं सुनी, बीजेपी EC पहुॅंची

बीजेपी ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि दिग्विजय सिंह राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार हैं। बावजूद इसके अन्य नेताओं के साथ बेंगलुरु के एक होटल में जाकर उन्होंने उन्होंने 16 विधायकों पर अपने पक्ष में वोट डालने के लिए दबाव डालने की कोशिश की। यह चुनाव अचार संहिता का उल्लंघन है।

मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में चल रही कॉन्ग्रेस सरकार भविष्य पर पैदा संकट की एक बड़ी वजह पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह बताए जाते हैं। कहा जा रहा है कि उनके ही इशारों पर कमलनाथ ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों की लगातार उपेक्षा कर रहे थे। इसके बाद राज्यसभा की उम्मीदवारी में दिग्विजय को तरजीह मिलता देख सिंधिया ने बीजेपी का दामन थाम लिया और उनके समर्थक विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद से मध्य प्रदेश का सियासी ड्रामा थमने का नाम नहीं ले रहा। सुप्रीम कोर्ट तक यह मसला पहुॅंच चुका है।

गुरुवार को इस सियासी ड्रामे में सबसे पहले खबर आई कि दिग्विजय सिंह बागी विधायकों से मिलने की मॉंग को लेकर बेंगलुरु के एक होटल के बाहर भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। इस होटल में वे बागी विधायक ठहरे हुए हैं जिनका इस्तीफा मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर स्वीकार नहीं कर रहे हैं। इन विधायकों के दावे के इतर कॉन्ग्रेस उन्हें बंधक बनाने का आरोप बीजेपी पर लगा रही है। दिग्विजय सिंह को धरने पर बैठने के बाद पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इसके बाद दिग्विजय ने कहा कि अब वे थाने में भूख हड़ताल करेंगे।

फिर उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अपनी याचिका में उन्होंने बागी विधायकों से मिलने की अनुमति देने की अपील की थी। लेकिन, अदालत ने ऐसा कोई भी आदेश देने से इनकार करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी। दूसरी ओर, उनके खिलाफ बीजेपी ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि दिग्विजय सिंह राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार हैं। बावजूद इसके अन्य नेताओं के साथ बेंगलुरु के एक होटल में जाकर उन्होंने उन्होंने 16 विधायकों पर अपने पक्ष में वोट डालने के लिए दबाव डालने की कोशिश की। यह चुनाव अचार संहिता का उल्लंघन है। पत्र में दिग्विजय सिंह के खिलाफ उचित कार्रवाई की मॉंग की गई है।

गौरतलब है कि कॉन्ग्रेस के 22 विधायकों ने पिछले दिनों इस्तीफा दे दिया था। इनमें से 6 का इस्तीफा स्वीकार किया जा चुका है। अन्य के इस्तीफे स्पीकर ने अब तक स्वीकार नहीं किए हैं। राज्यपाल ने कमलनाथ सरकार को सोमवार को विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा था। लेकिन, स्पीकर ने कार्यवाही स्थगित कर दी थी। इसके खिलाफ बीजेपी के कई नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। बुधवार को सुनवाई में शीर्ष अदालत ने स्पीकर से पूछा कि वे विधायकों के इस्तीफे पर कब तक फैसला लेंगे। स्पीकर ने गुरुवार को इसका जवाब देने की बात कही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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