भागवत ने कहा कि RSS को उम्मीद है कि सरकार जल्द ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार क़दम उठाएगी। उन्होंने कहा कि अतीत को भूल हम सभी को मिलकर रामजन्मभूमि स्थल पर भव्य मंदिर निर्माण के कर्तव्य का पालन करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का स्वागत करते हुए यूपी के सीएम ने कई ट्वीट किए। इनमें अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए लोगों शांति और सौहार्द्र बनाए रखने की अपील की।
“अगर ओवैसी का वश चले तो ये हैदराबाद में निजामी के समय की तरह ही दूसरा फसाद खड़ा कर दे, लेकिन इसकी औकात ही नहीं है इतनी कि हिन्दुस्तान का बँटवारा कर सके।”
राज ठाकरे ने राम मंदिर के जल्दी से जल्दी मंदिर निर्माण की माँग की है। उन्होंने साथ ही कहा कि राम मंदिर के अलावा उनकी इच्छा राष्ट्र में राम राज्य की भी है।
“जिस तरह से हिन्दू भाई हमारे फंक्शन रमजान में, बकरीद में हमारा साथ देते हैं, उसी तरह से फैसला के आने के बाद हम सभी मिलकर राम मंदिर बनाएँ और जहाँ तक हमारे सोने की ईंट की बात थी, वो हम देंगे।”
सर्वोच्च अदालत का ये फैसला हमारे लिए एक नया सवेरा लेकर आया है।
इस विवाद का भले ही कई पीढ़ियों पर असर पड़ा हो, लेकिन इस फैसले के बाद हमें ये संकल्प करना होगा कि अब नई पीढ़ी, नए सिरे से न्यू इंडिया के निर्माण में जुटेगी।
जेएनयू की छात्र नेता रहीं शेहला ने जम्मू कश्मीर की राजनीति में भी क़दम रखा था लेकिन अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के निरस्त होने के कारण उनकी राजनीतिक पारी चौपट हो गई। इसके लिए उन्होंने लम्बा-चौड़ा फेसबुक पोस्ट लिख कर मोदी सरकार पर निशाना साधा था।
एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा कि एक 'गैंग' ने उन्हें उस समय परेशान करना शुरू कर दिया था, जब उन्होंने कहा था कि पुरातात्विक साक्ष्य उस जगह पर मंदिर होने की ओर इंगित करते हैं।
भगवान राम को घर- घर पहुॅंचाने में तुलसीदास कृत रामचरितमानस की भूमिका अतुलनीय है। अयोध्या में रामलला को उनकी जमीन कानूनी तौर पर वापस दिलाने में ऐसी ही भूमिका भारतीय वकालत के भीष्म पितामह कहे जाने वाले पराशरण ने निभाई है।
फैसले का आधार बनी एएसआई रिपोर्ट में कहा गया है कि विवादित ढॉंचे के नीचे नक्काशीदार ईंटें, देवताओं की युगल खंडित मूर्तियाँ, नक्काशीदार वास्तुशिल्प, पत्तों के गुच्छे, अमालका, कपोतपाली, कमल की आकृति जैसी चीजें मिली हैं।