महाकाल एक्सप्रेस की शुरुआत 20 फरवरी से होनी है। ट्रेन की एक सीट भगवान महाकाल के लिए आरक्षित है, जिस पर शिव मंदिर बनाया गया है। ट्रेन के बी5 कोच की सीट नंबर 64 पर इस मंदिर को स्थापित किया गया है।
रेलवे ट्रैक्स के साथ-साथ बड़े सोलर पॉवर कैपेसिटी का सेट-अप किया जाएगा। इसके लिए सोलर पावर ग्रिड रेल पटरी के किनारे बनेगा। इसके अलावा, 150 ट्रेन पीपीपी मोड में चलाने का फैसला किया गया है। मतलब तेजस जैसे ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी।
मदरसा से शिक्षित आरोपित मुस्तफा को गिरफ़्तार किया गया है, जिसने ख़ुद से सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की पढ़ाई की और फिर अवैध कारगुजारियों में लग गया। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि इस अवैध टिकटिंग रैकेट के तार टेरर फंडिंग से जुड़े हैं।
एक स्थानीय संस्कृत शिक्षक का कहना है कि रेलवे स्टेशनों के हिन्दी और संस्कृत में नाम लगभग एक जैसे ही रहेंगे, क्योंकि दोनों भाषाओं में देवनागरी लिपि का इस्तेमाल होता है। उन्होंने बताया, "देहरादून को संस्कृत में देहरादूनम्, हरिद्वार को हरिद्वारम् और रूड़की को रूड़कीः लिखा जाएगा।"
रेल मंत्रालय ने अपने ट्वीटर हैंडल से इस वीडियो को जारी करते हुए चेतावनी दी कि इस तरह के स्टंट (Stunt) करना गैरकानूनी हैं और ये जानलेवा साबित हो सकते हैं। रेलवे ने कहा है कि अपनी सुरक्षा की अवहेलना करके ट्रेन के बाहर लटकना, चलती ट्रेन में चढ़ना, हादसे को बुलावा हो सकता है।
कई इलाक़ों में ‘रेल रोको अभियान’ और बंद का आयोजन किया गया, जिससे साउथ-ईस्ट रेलवे को 16 करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ था। ईस्टर्न रेलवे ने बताया था कि उसके 15 स्टेशनों को तबाह कर दिया गया। कई स्टेशनों पर कैश बॉक्स को लूट लिया गया। कुल मिला कर अब तक 250 करोड़ रुपयों का नुकसान की बात सामने आई थी।
सबसे ज्यादा हिंसा पश्चिम बंगाल में हुई। उसी तरह पूर्वोत्तर में भी ऐसे कई विरोध प्रदर्शन हुए। असम में उपद्रवियों के ख़िलाफ़ 136 केस दर्ज किए गए हैं और कुल 190 आरोपितों को गिरफ़्तार किया गया है। इनमें से कई ऐसे लोग हैं, जो तरह-तरह के संगठनों से जुड़े हैं
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पाँच सदस्यीय बेंच ने लगातार चालीस दिन तक चली सुनवाई के बाद इस मामले में 16 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवम्बर को रिटायर होने वाले हैं। इससे पहले फैसला आने की उम्मीद है।
यह 138 किलोमीटर के 'रेलवे लाइन डबलिंग प्रोजेक्ट' में बाधा बन रहा था, जिसके कारण इसे हटाया गया। इस शस्त्रागार को शिफ्ट न किए जाने के कारण रेलवे का ये डबलिंग प्रोजेक्ट क़रीब एक दशक तक अधर में रहा।
इस ट्रेन में 857 लोग यात्रा कर रहे थे और त्रासदी और भी भयंकर हो सकती थी। रेलवे कमिश्नर ने भी कहा है कि इस्लामिक मिशनरी के सदस्यों द्वारा लाए गए गैस सिलिंडर के कारण ही आग लगी। मरने वालों में अधिकतर इस्लामिक मिशनरी संगठन के लोग हैं।