इशारा साफ़ था, हमारी हैसियत बन्दूक खरीदने की है, हमने चाहा तो पत्रकारों को मार देंगे। इससे पहले भी लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी की दुहाई देने वाले जेएनयू के छात्रों ने रिपब्लिक भारत के मीडियाकर्मियों से काफी बदतमीजी की थी।
छात्रों की संख्या लगभग 8,000 है। कुल ख़र्च 556 करोड़ है। कैलकुलेट करने पर पता चलता है कि जेएनयू हर एक छात्र पर सालाना 6.95 लाख रुपए ख़र्च करता है। क्या इसके कुछ सार्थक परिणाम निकल कर आते हैं? ये जानने के लिए रिसर्च और प्लेसमेंट के आँकड़ों पर गौर कीजिए।
सामान्य जन को JNU के नाम पर न तो समर्थन और न ही विरोध में हाइप क्रिएट करना चाहिए। JNU वो नहीं रहा जिसके लिए उसे 1969 में बनाया गया था। इससे खुद को दूर रखें, आसपास की बेहतरी को देखें तो हमारे आपके अलावा देश के लिए भी बेहतर होगा।
शिक्षकों के प्रति मध्य-प्रदेश सरकार के उदासीन रवैये के खिलाफ लम्बे समय से वहाँ के शिक्षक अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। 5 सितम्बर को भी कई शिक्षक अपना विरोध जताने के लिए भोपाल में इकठ्ठा हुए थे।
विरोध-प्रदर्शन के कारण मेट्रो स्टेशनों को भी बंद कर दिया गया है। दिल्ली पुलिस के आदेश के बाद उद्योग भवन, लोक कल्याण मार्ग, सेंट्रल सेक्रेटेरिएट और पटेल चौक मेट्रो स्टेशन पर सेवाओं को ठप्प कर दिया गया है।
जेएनयू प्रशासन ने बताया कि अकादमिक काउंसिल और एग्जीक्यूटिव काउंसिल द्वारा नया अकादमिक कैलेंडर जारी कर दिया गया है। प्रशासन ने कहा कि छात्रों के प्रदर्शन की वजह से यूनिवर्सिटी के कैलेंडर में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा और समय-सीमा में किसी प्रकार की ढील नहीं दी जाएगी।
जिसकी परवरिश एक तय तरीके से हुई है, वो अचानक से उस संकाय में प्रोफेसर बना दिया जाए जो पूरे विश्व में हिन्दू धर्म और आस्था पर उठते सवालों या शंकाओं का निवारण करता है? आप मुझे एक उदाहरण दिखा दीजिए कि किसी इस्लामी संस्थान में हिन्दू प्रोफेसर शरीयत पढ़ाकर मौलवी तैयार कर रहा हो!
"'संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय' में समझने की बात यह है कि 'संस्कृत विद्या' किसी भी धर्म का व्यक्ति पढ़-पढ़ा सकता है। लेकिन 'धर्म विज्ञान' के लिए, सनातन हिन्दू परम्पराओं, वेद, वेदांग, कर्मकाण्ड, ज्योतिष के प्रति पूरी श्रद्धा और भाव से समर्पित लोगों को ही पद दिया जा सकता है।"
गरीबों के बच्चों की बात करने वाले ये भी बताएँ कि वहाँ दो बार MA, फिर एम फिल, फिर PhD के नाम पर बेकार के शोध करने वालों ने क्या दूसरे बच्चों का रास्ता नहीं रोक रखा है? हॉस्टल को ससुराल समझने वाले बताएँ कि JNU CD कांड के बाद भी एक-दूसरे के हॉस्टल में लड़के-लड़कियों को क्यों जाना है?
अगर पहले और अभी के फी की बात करें तो मेस बिल और इस्टैब्लिशमेंट चार्ज में कोई बदलाव नहीं किया गया है। छात्रों को बस बिजली और सफाई का बिल देने कहा गया। इसके विरोध में शुरू हुए प्रदर्शन को वामपंथी छात्र नेता हिंसक रूप देने की कोशिश कर रहे हैं।