ओडिशा के पुरी स्थित गोवर्धन मठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने ताजमहल को लेकर बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि ये प्राचीन काल में भगवान शिव का मंदिर था और इसका नाम 'तेजो महालय' था।
राज्यों के धर्मार्थ विभाग कमाते तो मंदिरों से हैं, लेकिन उससे हज हाउस बनवाते हैं। ये वही पैसा है, जिससे मस्जिदों के इमामों को सैलरी दी जाती है। अगर उस करोड़ों की कमाई के बदले में सरकार किसी हिंदू देवी-देवता को ट्रेन में एक सीट दे देगी तो एहसान नहीं करेगी। और यह होना भी चाहिए।
आईआरसीटीसी ने कहा है कि स्टाफ ने पूजा के लिए ट्रेन की एक सीट पर श्री महाकाल की तस्वीरें रख दी थीं। यह सिर्फ ट्रेन के उद्घाटन के समय के लिए ही था। ट्रेन में कोई भी सीट श्री महाकाल के लिए आरक्षित नहीं होने जा रही है।
महाकाल एक्सप्रेस की शुरुआत 20 फरवरी से होनी है। ट्रेन की एक सीट भगवान महाकाल के लिए आरक्षित है, जिस पर शिव मंदिर बनाया गया है। ट्रेन के बी5 कोच की सीट नंबर 64 पर इस मंदिर को स्थापित किया गया है।
यह जो रंगभरी एकादशी है, इसमें भी रंग क्या है? जिसके द्वारा जगत रंगों से सराबोर हो उठता है- 'उड़त गुलाल लाल भये अम्बर' अर्थात् गुलाल के उड़ने से आकाश लाल हो गया। आकाश इस सारे भौतिक प्रपंच का उपलक्षण है और काशी भौतिकता से आध्यात्म की यात्रा का महामार्ग।