दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पी चिदंबरम के खिलाफ आरोप बेहद गंभीर हैं और इसमें आरोपित की भूमिका काफी सक्रिय रही है। अगर इस परिस्थिति में चिदंबरम को जमानत दी जाती है, तो यह जनहित के खिलाफ होगा।
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा कि जो पूर्व विधायक, पूर्व सांसद या फिर कोई अन्य सरकारी अधिकारी, जो अवैध तरीके से सरकारी बंगले पर कब्जा करके बैठे हुए हैं, सरकार उनके नाम और पता बताते हुए एक हलफनामा दायर करे।
इस बेंच का नेतृत्व और कोई नहीं, खुद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ए एस ओका कर रहे थे। इसी बेंच ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या कारण है राज्य सरकार द्वारा पिछले चार साल से किए जा रहे आयोजन को रोकने का।
याचिकाकर्ताओं ने यह दलील भी दी थी कि महिला चालकों को छूट देकर समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया गया है। इस पर शाश्वत भारद्वाज द्वारा याचिका में कहा गया कि लिंग के आधार पर नियम में भेदभाव करना समानता के अधिकार का उल्लंघन है।
कोर्ट ने अपने फैसले में माना कि एक लंबे समय तक के सहमति से बनाए गए अंतरंग संबंध, जिसमें यौन संबंध भी शामिल है, ये नहीं कहा जा सकता कि दूसरे पक्ष ने शादी का वादा करके उसके साथ रेप किया।
किसी भी अदालत का काम धार्मिक मान्यताओं, रीति-रिवाजों और उसमे लोगों की आस्था से छेड़छाड़ करना नहीं है। पशुओं पर अत्याचार की बात करने वाले पहले देखें कि मांस उद्योग के लिए जानवरों पर होने वाला क्रूरतापूर्ण व्यवहार कितना जायज़ है?
याचिका में कहा गया है कि एसआईटी को आदेश दिया जाए कि वह इस मामले में ज़ब्त मोबाइल, लैपटॉप, वीडियो, सीडी आदि की सूची कोर्ट में पेश करे, क्योंकि इनके साथ छेड़छाड़ की जा सकती है। साथ ही पूरे मामले की जाँच कोर्ट की निगरानी में कराने की माँग भी की गई है।
याची पक्ष ने कोर्ट को आरोपितों की मौत की बात नहीं बताने के लिए माफ़ीनामा देने के साथ साल 2016 के उसके आदेश की याद दिलाई। मृतक समर के बेटे और प्रदीप की विधवा रेनू ने आवेदन में कहा है कि माननीय उच्च न्यायालय यमराज को निर्देश दे कि वह दोनों आरोपितों को पृथ्वी पर वापस भेजें ताकि वे दोनों कोर्ट द्वारा मुकर्रर सज़ा पूरी करें।
शिवकुमार ने अपने बयानों में डीके सुरेश का नाम लिया था। इसके आधार पर ही उन्हें ईडी ने नोटिस जारी किया है। हाई कोर्ट ने जमानत याचिका पर ईडी से मॉंगा जवाब। साथ ही स्थिति रिपोर्ट भी दाखिल करने को कहा है।
"सरकार पारम्परिक तरीके से माता त्रिपुरेश्वरी मंदिर में पूजा करती आ रही है। पशु बलि का अनुसरण स्वतंत्रता से पहले, महाराजा के शासनकाल से चली आ रही है। घरेलू तौर पर दी गई पशु बलि पूजा करने का एक अभिन्न अंग रहा है, तो इसे रोका कैसे जा सकता है?"