प्रशांत भूषण ने पिछले 11 सालों में कई बार सुप्रीम कोर्ट के जजों को भ्रष्टाचारी कहा, उन्हें केस से हटने को कहा, यहाँ तक कहा कि उन्हें जनहित याचिका समझना नहीं आता। प्रशांत भूषण को न्यायपालिका और CJI के खिलाफ अपने दो ट्वीट्स के लिए अदालत की अवमानना का दोषी पाया गया। यही नहीं, उन पर वर्ष 2009 का भी एक अवमानना का केस लंबित है।
28 जून को चीफ जस्टिस एसए बोबडे की एक तस्वीर सामने आई थी। इसमें वे एक बाइक पर बैठे नज़र आ रहे थे। बाइक के बेहद शौकीन जस्टिस बोबडे अपने गृह नगर नागपुर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान, वहाँ पर खड़ी एक महँगी बाइक पर कुछ देर के लिए बैठे थे।
इस पर प्रशांत भूषण ने टिप्पणी की थी कि चीफ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट को आम लोगों के लिए बंद कर दिया है और खुद बीजेपी नेता की 50 लाख रुपए की बाइक चला रहे हैं। इससे भी सबसे खतरनाक उनका दूसरा ट्वीट था, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत में पिछले 6 सालों में जितने भी चीफ जस्टिस आए, खासकर पिछले 4 चीफ जस्टिस ने लोकतंत्र की बर्बादी में अहम् भूमिका निभाई है।
न तो ये पहला मौका था, न ही आखिरी है जब स्वघोषित एक्टिविस्ट वकील प्रशांत भूषण ने जजों पर दवाब बनाने, उन्हें नीचा दिखाने, उन्हें किसी केस से हटने आदि की बातें की हों।