अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी को लेकर प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के सामने विरोध प्रदर्शन हुआ। यहीं पर हमने टीवी पत्रकार अशोक श्रीवास्तव से इस मुद्दे पर बातचीत की। उनसे जब एक चैनल को टारगेट करके हजारों पत्रकार पर श्रृंखलाबद्ध तरीके से किए गए हमले और बाकी ‘पत्रकारों’ की चुप्पी पर राय पूछी गई तो उन्होंने कहा, “मैं मानता हूँ कि जो लोग आज चुप बैठे हैं, वो पत्रकार नहीं, ‘पत्तलकार’ हैं। जो पत्तल लेकर बैठे रहते हैं कि सरकार उनकी पत्तल में कुछ डाल दे।”
वो आगे कहते हैं कि ये पत्रकार सरकार के पैसे और सहानुभूति पर ही पलते हैं और अभी इसलिए विरोध नहीं कर रहे हैं कि कल को कहीं अगर केंद्र में कॉन्ग्रेस समर्थित सरकार आ गई तो इन्हें बंगले और विदेशी यात्राओं की सुविधा नहीं मिलेगी। उनका कहना था कि एक जज पर हमला होता है, तो पूरे जज एक हो जाते हैं, एक वकील पर हमला होता है, तो पूरे वकील एक हो जाते हैं, लेकिन पत्रकारों की कौम एक साथ नहीं होती, क्योंकि वो सरकार के दम पर पलते हैं।
वहीं, ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ या ‘प्रेस क्लब’ जैसी बड़ी संस्थाओं के बारे में बात करते हुए अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि ये सभी संस्थाएँ अप्रासंगिक हो चुकी है। ये बिकी हुई कलम के लोग हैं। अशोक श्रीवास्तव ने कहा, “बहुत सारे आवाज न उठाने वाले पत्रकार इसलिए भी परेशान हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इसने इतनी जल्दी टीआरपी ले ली। इसने हमारी टीआरपी खत्म कर दी। एक साल में 2 चैनल खड़े कर दिए। अगर आप में दम है तो अर्णब से कॉम्पिटीशन कीजिए। आप उससे बड़ा एम्पायर खड़ा कीजिए, लेकिन नहीं कर पाओगे तो कहोगे कि ये तो पत्रकारिता नहीं है। आप कौन हो सर्टिफिकेट देने वाले?”
अशोक श्रीवास्तव ने इण्डिया टुडे के प्रोपेगेंडा पत्रकार राजदीप सरदेसाई और एनडीटीवी के प्रोपेगेंडा पत्रकार रवीश कुमार की पत्रकारिता पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि वो जो कुछ भी कर रहे हैं, वो पत्रकारिता है क्या? पत्रकारिता का सर्टिफिकेट कोई किसी को नहीं दे सकता है।
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