इनकी हिन्दूफोबिया, लगातार हो रहे अपमानसूचक दृश्यों का प्रदर्शन, एक समुदाय विशेष के लोगों का केन्द्र में होना बताता है कि अब हिन्दुओं को वही करना चाहिए जो वो लोग करते हैं!
आर्टिस्टिक फ्रीडम के नाम पर बकवास बंद होना चाहिए। हमें इससे मतलब नहीं कि इस्लाम पर क्यों नहीं बनाते, हमें यह बताना है कि हम पर बनाओगे तो वही हाल होगा जो किसी मैसेंजर पर बनाने पर होता है। यह डर आवश्यक है, क्रिएटिव फ्रीडम कभी भी ऑफेंसिव नहीं होता, क्योंकि वो सस्ता तरीका है। अभी तक चल रहा था, तो क्या आजीवन चलने देते रहें?
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