Saturday, November 23, 2024
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अब्बा ने क्रिश्चियन से, भाई ने सिख से की शादी, पर सारा और सचिन के विवाह में ‘मजहब’ आ गया था आड़े: लंदन वाली लव स्टोरी तलाक तक क्यों पहुँची

सारा अपने अब्बा फारूक अब्दुल्ला की दुलारी थीं। इसलिए उन्हें लगा शायद उनके अब्बा इस रिश्ते के लिए मान जाएँ। लेकिन बताते हैं कि राजनैतिक और सामाजिक दबाव के चलते फारूक अपनी बेटी की शादी तक में नहीं आए थे।

सचिन पायलट और सारा अब्दुल्ला दोनों ही राजनीतिक रसूख वाले परिवारों से आते हैं, लेकिन दोनों को इस डोर ने नहीं, बल्कि प्यार ने एक साथ किया। एक-दूसरे के प्यार में गिरफ्तार इस प्यारी से जोड़ी के अलग होने की खबरें मीडिया में आते ही जैसे सब कह रहे हों आखिर क्यों? दरअसल सचिन ने अपनी हमसफर सारा से तलाक ले लिया है।

ये खुलासा राजस्थान विधानसभा चुनावों के लिए पायलट ने टोंक से कॉन्ग्रेस उम्मीदवार के तौर पर 31 अक्टूबर 2023 को अपना पर्चा दाखिल करते हुए किया। उनके बीवी वाले कॉलम में तलाकशुदा लिखा गया था। सारा जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की बेटी हैं और उमर अब्दुल्ला की बहन हैं।

पायलट के 2018 के चुनावी हलफनामे में सारा का उल्लेख बतौर उनकी पत्नी था। बीते पाँच साल के अंदर क्या हुआ कि सचिन की सारा उनसे अलग हो गई हैं। इसे लेकर कोई साफ तारीख नहीं बताई गई है और न ही कोई साल…। बस पता है तो ये कि सचिन-सारा अब साथ में नहीं हैं।

19 साल पहले जब सारा ने गैर मजहब के सचिन पायलट से शादी की थी तो उस समय परिवार ने उनका साथ नहीं दिया था। शादी में सारा के अब्बा तो क्या उनका पूरा परिवार नहीं आया था।

कहते हैं कि दिसंबर 2018 में सचिन पायलट के डिप्टी सीएम की शपथ लेने के दौरान सारा वहाँ मौजूद थीं, लेकिन तभी से उनके अलग होने के कयास लगने लगे थे।

राजस्थान के एक्स डिप्टी सीएम सचिन सारा और की इश्क की दास्तां राजनीति से भी ज्यादा मशहूर थी, तभी तो इस रिश्ते की टूटने की आवाज ने हर तरफ शोर मचा दिया। वो तो प्यार में पड़े सचिन और सारा ही जानते होंगे कि जिस रिश्ते के लिए हर दीवार तोड़ डाली, उससे अलग होना कैसा दर्द देता होगा।

पढ़ाई के वक्त की दोस्ती जो इश्क तक परवान चढ़ी

सिमी ग्रेवॉल को दिए साल 2012 के एक इंटरव्यू में सचिन और सारा ने अपने दिल के राज खोले। सारा का कहना था कि 12 साल की उम्र के बाद वो इंग्लैंड चली गई थी। दोनों ने ही माना कि उनके परिवारों में एक चीज सामान्य थी और वो थी राजनीति थी। सारा कहती हैं, “राजनीति मेरे खून में हैं, लेकिन मैं समझती हूँ सचिन मेरे से बेहतर तरीके से राजनीति समझते हैं और इस मामले में स्मार्ट है। मैं अभी भी भोली हूँ। ये समझते हैं कि कोई कुछ कह रहा है तो मैं लोगों की फैस वैल्यू देख बात समझती हूँ।”

दोनों पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल में हायर एजुकेशन लेने के दौरान एक-दूसरे से मिले थे। गौरतलब है कि 15 जनवरी 2004 को शादी के बंधन में बंधे थे। सचिन कहते हैं, “शादी होने से पहले ही मैं इसकी फैमिली को बहुत सालों से जानता था, लेकिन मैं सारा को निजी तौर पर नहीं जानता था। हम शादी से पाँच साल पहले मिले थे और एक-दूसरे से टच में रहे। मैं अपनी मास्टर कर रहा था। सारा इंग्लैंड के कॉलेज में थी मास्टर पूरी करने के बाद में दिल्ली आ गया।”

इसके बाद करीबन तीन साल तक दोनों एक-दूसरे से दूर से ही रिश्ता निभाते रहे। दूरी ने उन्हें प्यार का एहसास कराया। इस पर सारा बताती हैं, “मैं इंग्लैंड में थी। हमने फोन ईमेल्स से एक दूसरे को जाना, हमारी लंबी बातचीत होती थी। फोन के बिल की सीमा नहीं होती थी।”

सचिन के राजनीति में जाने के बारे में सारा को यकीन था। वो कहती हैं, “वो भी नहीं जानता था कि वो राजनीति में जाएगा, लेकिन मुझे विश्वास था वो जाएगा। मैं उससे बहुत पहले ही पूछने लगीं थी, मैंने उससे कहा सुनो, मैं राजनीति और ही न ही किसी राजनेता से शादी के बारे निश्चित नहीं हूँ।”

सारा आगे बताती हैं, “तो इसने (सचिन) कहा सुनो मैं अपना एमबीए कर रहा हूँ, मैं इतनी मेहनत तुरंत राजनीति में जाने के लिए नहीं कर रहा हूँ, शायद कुछ वक्त बाद जाऊँ, तब मैंने कहा ठीक है… शादी होने के कुछ ही महीनों बाद ये राजनीति में थे, मैं इनकी च्वॉइस से सहमत थी मैंने उसका सम्मान किया।” पायलट 26 साल की उम्र में 13 मई 2004 को 14वीं लोकसभा के लिए दौसा सीट से चुने गए।

मुश्किल थी राह-ए- मोहब्बत

सचिन जहाँ राजस्थानी गुज्जर परिवार से हैं, वहीं सारा कश्मीरी मुस्लिम हैं। दोनों की शादी को लेकर भी खासी मशक्कत करनी पड़ी थी। हालाँकि कुछ वक्त के बाद से मामला सुलझ गया, लेकिन जब सचिन पायलट और सारा अब्दुल्ला ने पहली बार शादी करने का फैसला किया तो जैसे उनकी जिंदगियों में तूफान आ गया था।

सचिन के किरदार और मुस्कान के सारा के घरवाले कायल थे, लेकिन इसके बाद भी सबकुछ बेहद आसान नहीं था। सचिन ने अपनी माँ को इस रिश्ते के बारे में बताया तो उनके परिवार की तरफ से इस रिश्ते के लिए हामी नहीं थी।

सचिन ने अपने परिवार को सारा के साथ शादी करने के लिए मना लिया, लेकिन जहाँ सारा के परिवार की बात की जाए तो वहाँ से इस रिश्ते पर मुश्किलें ही अधिक थी। सबसे अधिक एतराज सारा के पिता जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम रहे फारूक अब्दुल्ला को था। वो शादी के लिए तैयार ही नहीं थे।

सारा पिता की दुलारी थी तो उन्हें लगता था कि कुछ वक्त बाद शायद उनके पिता इस शादी के लिए तैयार हो जाएँ, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सारा की चुनौतियाँ कम होने का नाम नहीं ले रही थी वो अब्बा को मनाने की कोशिश करती रहीं, लेकिन फारूक अब्दुल्ला का दिल नहीं पसीजा।

वो सचिन पायलट को पसंद तो करते थे और उनसे बेहतर दामाद शायद उन्हें नहीं मिलता, मगर उन पर शायद सामाजिक और राजनीतिक दबाव हावी था। जब प्यार में पड़े सारा और सचिन के रिश्ते के बारे में चर्चाएँ जोरों पर थी तो वहाँ कश्मीर में इस रिश्ते को लेकर बवाल मचा।

फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ कैंपेन चलाए गए। यहाँ तक कि उनकी ही पार्टी जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के कुछ विधायक उनके खिलाफ हो गए। कुछ महीने तक दोनों प्रेमियों ने माहौल के ठंडा होने का इंतजार किया, लेकिन उन्हें महसूस हो गया कि हालात ऐसे ही बने रहेंगे।

इसके बाद सारा ने अपने परिवार के खिलाफ जाकर सचिन पायलट से शादी रचा ली। दोनों किस्मत और परिवार के दबाव पर अपने दिल के रिश्ते को तरजीह दी। सादे से एक समारोह में दोनों एक- दूसरे को हो गए।

नहीं आए बेटी को विदा करने फारूक

अंतर-धार्मिक शादी और राजनीति की वजह से सारा के पिता फारूक अब्दुल्ला, भाई उमर अब्दुल्ला और बाकी परिवार 2004 दिल्ली में हुई इस शादी में शामिल नहीं हुए। दिलचस्प बात है कि उमर अब्दुल्ला ने खुद एक सिख लड़की से शादी की और अब्बा फारूक अब्दुल्ला ने एक क्रिश्चियन से। लेकिन दोनों ने सारा के हिंदू लड़के से शादी करने पर ऐतराज जताया।

हालाँकि वक्त बीतने के साथ ही फारूक अब्दुल्ला ने अपनी दुलारी बेटी के साथ दामाद को भी गले लगा लिया। दोनों के प्यार का सफर रफ्ता -रफ्ता गुजर रहा था। प्यार को मुकम्मल करने के लिए आरान और विहान दो बेटे सारा और सचिन की जिंदगी में आए, लेकिन फिर ऐसा जाने क्या हुआ कि दोनों ने रास्ते एक-दूसरे से अलग हो गए कुछ इस तरह से जैसे कह रहे हों- “हजार राहें मुड़के देखी कहीं से कोई सदा न आई, तुम्हें ये जिद थी कि हम बुलाते, हमें ये उम्मीद वो पुकारें..है नाम होंठों पे अब भी लेकिन आवाज़ में पड़ गई दरारें”

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रचना वर्मा
रचना वर्मा
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