नागालैंड की सरकार ने सभी नौकरशाहों और पुलिस अधिकारियों की छुट्टियाँ रद्द कर दीं हैं, और उन्हें ड्यूटी पर वापिस आने का आदेश दिया है। ऐसा नगा शांति वार्ता के समापन की तारीख पास आने और शांति समझौते पर हस्ताक्षर होने के आभास में किया गया है। यह कदम सरकार की ओर से वार्ताकार और नगालैंड के गवर्नर आरएन रवि के उस बयान के बाद उठाया गया है, जिसमें उन्होंने दो टूक कह दिया था कि न ही नगालैंड को अपना खुद का झंडा या संविधान मिलेगा, और न ही अलगाववादियों के साथ हो रही वार्ता को समय सीमा (31 अक्टूबर, 2019) के आगे खींचा जाएगा। नगा अलगाववादी संगठन NSCN-IM के साथ सरकार की वार्ता 1997 से, यानि 22 वर्षों से चली आ रही है, लेकिन अब सरकार ने तय कर लिया है कि और आगे ऐसा नहीं चल सकता।
परसों (सोमवार, 21 अक्टूबर, 2019 को) नगालैंड के डीजीपी ने एक वायरलेस संदेश के ज़रिए पुलिस कर्मियों की सभी प्रकार की छुट्टियों को रद्द किए जाने का संदेश जारी किया। मुख्य सचिव के ऑफ़िस ने ऐसा ही संदेश सभी डिप्टी कमिश्नरों और प्रशासनिक अधिकारियों के लिए जारी किया। मुख्य सचिव के आदेश में सभी अधिकारियों को अपनी ड्यूटी पर तैनात रहने और छुट्टी पर गए अधिकारियों को वापिस बुलाए जाने की बात कही है। इसके अलावा नगालैंड के मुख्यमंत्री नाइफीउ रिओ के कार्यालय ने भी सभी जिलों के जिला मजिस्ट्रेटों को जिला मुख्यालय किसी भी हालत में न छोड़ने के कठोर आदेश जारी किए हैं।
National Socialist Council of Nagaland (Isak-Muivah faction) के नाम से जाने वाले इस अलगाववादी संगठन से हालाँकि सरकार बातचीत और जारी न रखने के निश्चय पर अडिग रहती दिखाई दे रही है, लेकिन NSCN (IM) भी अलग झंडे और संविधान को लेकर अड़ता ही लग रहा है। ऐसे में संभावना शांति समझौते पर हस्ताक्षर बिना NSCN (IM) के ही होने की सूरत बनती दिख रही है। इसके चलते कानून व्यवस्था के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है।
सरकार की शांति वार्ता सात नगा संगठनों के साथ चल रही है, और NSCN (IM) के अलावा बाकी सभी वार्ता खत्म कर शांति समझौते पर हस्ताक्षर के पक्ष में बताए जा रहे हैं। NSCN (IM) के नेता भी सरकार के साथ पहले ही ‘Framework Agreement’ पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। जहाँ सरकार ‘Framework Agreement’ के दायरे में झंडा और संविधान के मुद्दों के न आने की बात कर रही है, वहीं NSCN (IM) ‘Framework Agreement’ में इन दोनों का वादा किए जाने की बात कह रही है।