अमेरिका की इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कम्पनी टेस्ला ने भारत की टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स से सेमीकंडक्टर चिप को लेकर एक रणनीतिक समझौता किया है। टेस्ला, भारत में बनी हुई सेमीकंडक्टर चिप को अपनी गाड़ियों में लगाएगी। अभी इसका आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई है।
द इकॉनोमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी कम्पनी के साथ भारत के बड़े कारोबारी समूह का यह समझौता कुछ महीने पहले हुआ है लेकिन इसकी जानकारी मीडिया को नहीं दी गई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि टाटा से खरीदी हुई चिप को टेस्ला विश्व भर में बेचे जाने वाले वाहनों में लगाएगी।
टाटा सेमीकंडक्टर निर्माण के क्षेत्र में उतर रही है। उसने हाल ही में असम, गुजरात और तमिलनाडु में अपने सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने का काम चालू किया है। जल्द ही इन प्लांट में चिप का निर्माण चालू हो जाएगा। उधर टेस्ला लम्बे समय से भारत में एंट्री को लेकर योजना बना रही है।
टेस्ला के भारतीय बाजार में आने को लेकर पहले कुछ नीतिगत अड़चने सामने आ रही थी। अब सरकार ने वाहन आयात की नीतियाँ बदली हैं जिससे टेस्ला की गाड़ियाँ अब भारत में आयात हो सकेंगी और उन पर ज्यादा इम्पोर्ट ड्यूटी भी नहीं लगेगी। हालाँकि , इसके लिए टेस्ला को भारत में कम से कम लगभग ₹4000 करोड़ का निवेश करना होगा।
टेस्ला के मुखिया एलन मस्क के अप्रैल माह के अंत तक भारत आने की भी सूचना है। इसी दौरान वह भारतीय बाजार में टेस्ला की एंट्री, भारत में उनकी कंपनी के निवेश और साथ ही अन्य भारतीय कम्पनियों के साथ सहयोग को लेकर घोषणाएं करेंगे। इससे पहले उनके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने की चर्चा है।
बताया जा रहा है कि टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स अब तक देश में सेमीकंडक्टर के निर्माण के लिए ₹1 लाख करोड़ से अधिक का निवेश कर चुकी है। यह सेमीकंडक्टर क्षेत्र के विशेषज्ञों को दुनिया भर से बुला रही है। टाटा आने वाले कुछ सालों में भारत में सेमीकंडक्टर क्षेत्र की सबसे अग्रणी कम्पनी बनने के प्रयास में है।
टेस्ला के टाटा से समझौता करने के पीछे उसकी चीन पर निर्भरता को भी कारण माना जा रहा है। टेस्ला अधिकाँश सामान चीन से आयात करती है। हालाँकि, कोविड महामारी के बाद से उसने अपने स्रोतों को बढ़ाना चालू कर दिया है। इसी क्रम में उसने भारत से भी सेमीकंडक्टर खरीदने की योजना बनाई है।