Friday, October 18, 2024
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इस्लाम के ‘हाफिज’ कैसे, कह रहे बेटियों को ‘वेश्या’ बनाना है तो स्कूल भेजो: मुस्लिम लड़कियों को शिक्षा से रोकने के लिए पाकिस्तान में बन रहे गाने

वीडियो में यूट्यूबर हसन इकबाल चिश्ती मुस्लिमों से गाना गाकर कहता दिख रहा है कि लड़कियों को वो स्कूल न भेजें वहाँ उनकी लड़की नाचती हुई मिली है। अगर उन्हें लड़कियों को वेश्या बनाना है तो वो उसे स्कूल भेजें।

सोशल मीडिया पर इन दिनों एक पाकिस्तानी यूट्यूबर की वीडियो खूब वायरल हो रही है। यूट्यूबर का नाम हाफिज हसन इकबाल चिश्ती है। हसन इकबाल ने वीडियो में गाना गाया है और लोगों से कहा है कि वो अपनी लड़कियों को स्कूल न भेजें क्योंकि वहाँ लड़कियाँ नाचती हुई मिली हैं। इसके अलावा हसन ने गाने में ये भी कहा है कि अगर लड़कियों को कंजरी (महिलाओं का चरित्र हनन के लिए इस्तेमाल होने वाला शब्द) बनाना है तो वो उन्हें स्कूल भेजें।

इस गाने को तीन हफ्ते पहले जून में रिलीज किया गया था। गाने का शीर्षक भी यही दिया गया था- “अपनी धी स्कूलो हटा ले, ओथे डांस करदी पाई ए (यानी अपनी लड़की को स्कूल से निकाल ले, वो वहाँ डांस करती हुई मिली है)”

इसके अलावा इस गाने के कुछ और बोल भी है जहाँ विवादित बातें कही गई हैं। जैसे – लड़की को स्कूल से निकाल ले, घर में पर्दा करवाकर बिठा ले, अपनी इज्जत बचा ले और अगर ऐसा नहीं कर सकता, तुझे अपनी इज्जत गँवानी ही है, लड़की को वेश्या बनाना ही है तो फिर उसे स्कूल में पढ़ा ले।

वीडियो में इस गाने को बनाने का संदर्भ दिखाया जा रहा है कि पाकिस्तान के स्कूल में यूनेस्को के कहने पर डांस प्रतियोगिता करवा दी गई है। इसी पर आगे यूट्यूबर हसन इकबाल चिश्ती अपना गाना गाते दिखाई देते हैं। उनके चैनल पर सबसे चलने वाली वीडियो यही है। इस वीडियो को उन्होंने 19 जून 2024 को डाला था। अब तक इसे 1 लाख 73 हजार लोग देख चुके हैं। वहीं 2.9 हजार लोगों ने इसे पसंद किया है।

गाने के बोल सुनने के बाद पढ़े-लिखे लोग इस पर कमेंट करके गाने का विरोध कर रहे हैं और पूछ रहे हैं कि पाकिस्तान किस दिशा में जा रहा है। लेकिन, दूसरी ओर हैरानी की बात ये है कि पाकिस्तान के कई यूजर्स इस गाने को सराह रहे हैं। हसन इकबाल चिश्ती को ऐसा गाना बनाने के लिए धन्यवाद दिया जा रहा है। कई तो कमेंट में गाने में कही बातों से सहमति व्यक्ति करते हुए हसन इकबाल चिश्ती अमर रहे जैसी बातें भी बोल रहे हैं..वो भी बिन ये समझे कि हसन इकबाल के ये बोल और ऐसी सोच आखिर समाज के लिए क्यों गलत है जो उन्हें मजबूत बनाने की जगह गर्त में ले जाएगी।

वीडियो पर आए कमेंट (फोटो साभार: फ्री प्रेस जर्नल)

आज के समय में हर विकासशील देश में लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलाने पर जोर दिया जाता है ताकि लड़कियाँ पढ़ें तो समाज और अधिक सशक्त हो, लेकिन इस्लामी मुल्कों में ऐसा नहीं है। वहाँ तो मौका और मुद्दे ढूँढे जाते हैं कि किस तरह से सिर्फ लड़कियों को उनके मूलभूत अधिकारों से भी वंचित कर दिया जाए। ऐसे मुल्कों में जहाँ लड़कियों के लिए बेसिक शिक्षा पाना ही बहुत मुश्किल है तो वहाँ उच्च शिक्षा के बारे में कोई कैसे सोचेगा।

इस्लामी मुल्कों में लड़कियों की ऐसी हालत के जिम्मेदार सिर्फ हसन इकबाल चिश्ती जैसे लोग हैं जो इस्लाम के नाम पर खुलेआम आम लोगों को उकसा रहे हैं कि वो अपनी बच्चियों को शिक्षा न दिलाएँ, पर्दे में बिठाएँ… बिलकुल वैसे ही जैसे महिलाओं की शिक्षा पर तालिबान की नीतियाँ है।

अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार ने महिलाओं की शिक्षा को 2022 से बैन किया हुआ है। वहाँ अगर कोई महिला यूनिवर्सिटी में जाने का प्रयास करती है तो उस पर वाटर कैनन की बौछार करके उसे रोका जाता है और सुनिश्चित किया जाता है महिलाएँ शैक्षिक केंद्रों में न जाएँ। उनकी इस सोच का कारण यही है कि वो मानते हैं कि शैक्षिक केंद्रों में जाने से लड़कियाँ बिगड़ जाएँगी। तालिबान ने भी जब शिक्षा को बैन किया था तो सफाई में कहा था कि यूनिवर्सिटी में छात्राएँ तालिबानी ड्रेस कोड का पालन नहीं करतीं और इस तरह सज-धज कर पढ़ने जाती थीं मानो शादी समारोह में जा रही हैं। तालिबान का कहना था कि यूनिवर्सिटी में औरतें और मर्द स्वतंत्र रूप से मिलते थे इसलिए उन्होंने शिक्षा पर बैन लगा दिया।

अब पाकिस्तान में यही आधार अपनाकर लड़कियों की शिक्षा को बंद करवाने की सोच सामने आई है, सिर्फ इसलिए क्योंकि स्कूलों में डांस होगा उनकी तुलना वेश्याओं से की जा रही है ताकि लड़कियों के अभिभावक अपनी नाक बचाने के डर से बच्चियों का स्कूल छुड़वाकर उन्हें घर में बिठा दें। सोचिए अगर ऐसे गानों से कोई एक व्यक्ति भी प्रभावित होता है तो उस व्यक्ति के घर में जन्मी लड़की की स्थिति क्या की जाएगी। मालूम रहे कट्टरपंथी तत्वों का शुरुआत से ये काम रहा है कि मजहब बचाने की आड़ में सबसे पहले महिलाओं को निशाना बनाया जाता है। कभी उनके कपड़ों से दिक्कत हो जाती है, तो कभी उनके सजने-सँवरने से। हालाँकि वो मसले महिला की निजी पसंद न पसंद के होते हैं इसलिए इतना विरोध नहीं होता, मगर बात जब शिक्षा से अछूता करने पर आएगी तो इसके दुष्परिणाम लड़कियों के जीवन पर देखने को मिलेंगे जो कि काफी घातक साबित हो सकते हैं।

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