केरल के वायनाड में हुए भूस्खलन हादसे में प्रशासन की लापरवाही सामने आने के बाद अब वामपंथी सरकार दमन में जुट गई है। वामपंथी सरकार ने अपनी गलतियाँ छुपाने के लिए राज्य के वैज्ञानिक समुदाय की जुबान पर ताला लगाने वाला एक आदेश जारी किया। जब इस पर केरल सरकार घिर गई, तो उसने यह वापस ले लिया।
केरल सरकार ने वायनाड हादसे के बाद गुरुवार (1 अगस्त, 2024) को एक आदेश निकाला है। इस आदेश में कहा गया है कि केरल का कोई भी वैज्ञानिक या भूस्खलन मामलों का जानकार वायनाड ना जाए और ना ही इस मामले को लेकर अपने विचार कहीं रखे।
इस आदेश में लिखा गया है, “केरल राज्य के सभी विज्ञान संस्थानों को निर्देश दिया जाए कि वे मेप्पडी पंचायत, वायनाड, का कोई दौरा न करें। वैज्ञानिक समुदाय को यह भी निर्देश दिया जाए कि वह अपनी राय और अध्ययन रिपोर्ट मीडिया में साझा ना करें।”
केरल की वामपंथी सरकार ने यह आदेश तब जारी किया जब राज्य के ही कई वैज्ञानिक संस्थाओं ने खुलासा कर दिया कि वायनाड जिला प्रशासन को भूस्खलन सम्बन्धी चेतावनी भेजी गई थी। इसके बाद भी वायनाड जिला प्रशासन ने कोई एक्शन नहीं लिया और लगभग 300 लोग काल के गाल में समा गए।
वायनाड में 200 से अधिक मौसम निगरानी यूनिट चलाने वाले ह्यूम सेंटर फॉर इकोलॉजी एंड वाइल्डलाइफ बायोलॉजी ने भूस्खलन से दो दिन पहले ही चेतावनी दी थी। इसने उन इलाकों में विशेष रूप से खतरा बताया था जहाँ बाद में यह आपदा आई।
इस सेंटर के मुखिया CK विष्णुदास ने खुलासा किया था किजिला प्रशासन को सोमवार को ही भूस्खलन की चेतावनी दे दी गई थी। उन्होंने यह भी बताया कि इन गाँवों से लोगों को निकालने की सलाह भी दी गई थी। हालाँकि, इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया आपदा आ गई।
यह जानकारी सामने आने के बाद केरल सरकार और वायनाड प्रशासन पर प्रश्न उठना चालू हुए तो उसने वैज्ञानिकों का ही मुंह बंद करने वाला आदेश निकाल दिया। इससे वह अपनी किरकिरी से बचना चाहती है। केरल सरकार के इस आदेश का बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है।
भाजपा नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने इस अमले में पर कहा, “सबकुछ, हर एक बात जो INDI गठबंधन कहता है या करता है, जैसे कि वैज्ञानिक समुदाय को चुप कराने वाला CPM सरकार का यह आदेश, पाखंड, दोहरे मापदंडों और झूठ पर आधारित होता है।”
Everything .. I repeat .. Every single thing that INDI alliance says or does – like this official CPM govt order silencing science community – is built around hypocrisy, double standards and outright lies. pic.twitter.com/NerezAmgTu
— Rajeev Chandrasekhar 🇮🇳 (@RajeevRC_X) August 2, 2024
राजीव चंद्रशेखर के अलावा भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने इसे केरल सरकार का तालिबानी फतवा बताया है। उन्होंने कहा है कि केरल सरकार अपनी विफलता छुपाना चाहती है, इसलिए वह ऐसे आदेश निकाल रही है।
Kerala Govt issues TALIBANI Fatwa/ gag order banning scientists from visiting Wayanad disaster sites, sharing views
— Shehzad Jai Hind (Modi Ka Parivar) (@Shehzad_Ind) August 2, 2024
Under pressure they have now withdrawn it in media
BUT HERE IS WHAT KERALA GOVT DOES NOT WANT US TO KNOW ABOUT THIS MAN MADE DISASTER
1) That it deliberately… pic.twitter.com/JEwhnfG1NN
भारी विरोध और लानत मलानत के बाद केरल की वामपंथी सरकार ने यह आदेश वापस ले लिया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इस पर सफाई भी दी है। CM विजयन ने कहा कि ऐसी कोई नीति नहीं है जो वैज्ञानिकों को बोलने से रोके।
गौरतलब है कि 30 जुलाई, 2024 की रात को वायनाड के कई गाँवों में भारी बारिश के कारण भूस्खलन हुआ था। इस भूस्खलन के कारण 3-4 गाँव पूरी तरह बह गए थे। इनमें रहने वाले हजारों लोग यहाँ मलबे के बीच फंस गए। इस हादसे में अब तक लगभग 300 लोग मारे जा चुके हैं। सैकड़ों लोग घायल हैं, जिनका इलाज चल रहा है। सेना-वायुसेना और NDRF ने यहाँ हजारों लोगों को बचाया है। अब इन लोगों को फिर से बसाने को लेकर कवायद चल रही है।