अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक बार फिर भारतीय संस्था SEBI और अडानी ग्रुप पर आरोप लगाया है। अपनी हालिया रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने कहा है कि SEBI की चीफ माधबी पुरी बुच अडानी से मिली हुई हैं और दोनों के व्यवसायिक संबंध हैं। इसलिए अभी तक अडानी पर कार्रवाई नहीं की गई। इन आरोपों को बुच के पति ने नकार दिया है। वहीं, विपक्षी दलों ने सरकार को घेरा है।
हिंडनबर्ग द्वारा 10 अगस्त को प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति का ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी। इस फंड का इस्तेमाल अडानी द्वारा पैसे को इधर-उधर करने के लिए इस्तेमाल किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है, “वर्तमान सेबी अध्यक्ष माधबी बुच और उनके पति धवल बुच के पास ठीक उसी अस्पष्ट ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंड में हिस्सेदारी थी, जिसका इस्तेमाल गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी ने किया था।”
हिंडनब्रुग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में सेबी चेयरपर्सन और उनके पति धवल बुच पर आरोप लगाते हुए कहा कि धवल बुच की लिंक्डइन प्रोफ़ाइल में बताया गया है कि वे ब्लैकस्टोन और अल्वारेज़ एंड मार्सल में वरिष्ठ सलाहकार हैं। बुच जुलाई 2019 से ब्लैकस्टोन के साथ काम कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, “ब्लैकस्टोन भारत में एक नए परिसंपत्ति वर्ग REITS के सबसे बड़े निवेशकों और प्रायोजकों में से एक है।”
अडानी के साथ माधबी बुच के संबंधों का दावा
सेबी प्रमुख के लेकर रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “व्हिसलब्लोअर के दस्तावेजों से पता चलता है कि माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने पहली बार सिंगापुर में 5 जून 2015 को IPE प्लस फंड 1 के साथ अपना खाता खोला था। इसमें निवेश का स्रोत ‘वेतन’ बताया गया है और बुच पति-पत्नी की कुल संपत्ति 10 मिलियन डॉलर (आज के समय में लगभग 84 करोड़ रुपए) आँकी गई है।”
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि लिंक्डइन प्रोफाइल से पता चलता है कि अप्रैल 2017 में माधबी बुच को सेबी का ‘पूर्णकालिक सदस्य’ नियुक्त किया गया था। माधबी की नियुक्ति से कुछ ही सप्ताह पहले 22 मार्च 2017 को धवल बुच ने मॉरीशस के फंड प्रशासक ट्राइडेंट ट्रस्ट को एक पत्र लिखा। इसमें कहा गया था कि वे खातों को संचालित करने के लिए उन्हें एकमात्र अधिकृत व्यक्ति बनाया जाए। हिंडनबर्ग का कहना है, “ऐसा इसलिए किया गया ताकि राजनीतिक रूप से संवेदनशील नियुक्ति से पहले उनकी पत्नी के नाम वाली संपत्ति स्थानांतरित हो जाए।”
हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, “26 फरवरी 2018 को माधबी बुच के निजी ईमेल पर भेजे गए अकाउंट डिटेल में संरचना का ‘जीडीओएफ सेल 90 (आईपीईप्लस फंड 1)’ बताया गया था। विनोद अडानी द्वारा उपयोग किया हुआ तथा मॉरीशस-पंजीकृत इस शेल कंपनी में उस समय बुच की हिस्सेदारी का कुल मूल्य $872,762.25 (लगभग 7.33 करोड़ रुपए) थी। SEBI प्रमुख रहते हुए माधबी बुच ने 25 फरवरी 2018 को अपने निजी जीमेल अकाउंट को इंडिया इंफोलाइन को ईमेल किया और कहा कि वह अपने पति से नाम से व्यवसाय कर रही हैं और इस फंड के उनके यूनिट को रिडीम किया जाए।”
SEBI पर कार्रवाई नहीं करने के आरोप
हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “हमें संदेह है कि अडानी समूह में संदिग्ध ऑफशोर शेयरधारकों के खिलाफ सार्थक कार्रवाई करने में सेबी की अनिच्छा, अध्यक्ष माधबी बुच की गौतम अदानी के भाई विनोद अडानी द्वारा इस्तेमाल किए गए ठीक उसी फंड का उपयोग करने में मिलीभगत से उपजी हो सकती है। आज तक सेबी ने इंडिया इंफोलाइन द्वारा संचालित अन्य संदिग्ध अडानी शेयरधारकों: ईएम रिसर्जेंट फंड और इमर्जिंग इंडिया फोकस फंड के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।”
हिंडनबर्ग ने कहा, “हमारी मूल रिपोर्ट में हमने अन्य फंडों के अलावा ईएम रिसर्जेंट फंड और इमर्जिंग इंडिया फोकस फंड नामक दो मॉरीशस संस्थाओं की पहचान की। दोनों संस्थाओं को इंडिया इंफोलाइन (जिसे अब 360 वन कहा जाता है) के संबंधित पक्षों के रूप में प्रकट किया गया था और इसकी वार्षिक रिपोर्टों के अनुसार, इसके कर्मचारियों द्वारा देखरेख की जाती थी। हमने पाया कि [इन फंडों के] ट्रेडिंग पैटर्न से पता चलता है कि स्टॉक पार्किंग संस्थाओं और संदिग्ध ऑफशोर संस्थाओं ने अडानी की कुछ सूचीबद्ध कंपनियों के वॉल्यूम और/या मूल्य को कृत्रिम रूप से बढ़ा दिया हो सकता है।”
हिंडनबर्ग का अडानी पर आरोप
रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘आईपीई प्लस फंड’ एक छोटा ऑफशोर ऑरिशियस फंड है, जिसे अडानी के एक निदेशक ने इंडिया इंफोलाइन (आईआईएफएल) के माध्यम से स्थापित किया है। इंडिया इंफोलाइन एक वेल्थ मैनेजमेंट फर्म है, जिसका वायरकार्ड (wirecard scandal) घोटाले से संबंध है। उसने कहा कि गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी ने इसका इस्तेमाल भारतीय बाजारों में निवेश करने के लिए किया।
अमेरिकी शॉर्टसेलर आरोप लगाया, “इस निवेश में अडानी समूह को बिजली उपकरणों के ओवर इनवॉइसिंग यानी कीमत से अधिक राशि से प्राप्त धन शामिल था।” हिंडनबर्ग ने दावा किया कि उसकी रिपोर्ट में बताया गया है कि राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) के दस्तावेजों में आरोप लगाया गया है कि अडानी ने प्रमुख बिजली उपकरणों के आयात मूल्यांकन को बेहद बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और भारतीय जनता से धन हड़पने और उसे सफेद करने के लिए ऑफशोर मुखौटा संस्थाओं का उपयोग किया था।
गौतम अडानी के भाई पर आरोप लगाते हुए हिंडनबर्ग ने आगे कहा, “एक जटिल संरचना में विनोद अडानी नियंत्रित कंपनी ने बरमूडा में ‘ग्लोबल डायनेमिक ऑपर्च्युनिटीज फंड’ में निवेश किया था। बरमुडा एक ब्रिटिश विदेशी क्षेत्र और टैक्स हेवन है। इस फंड ने मॉरीशस में पंजीकृत एक फंड आईपीई प्लस फंड 1 में निवेश किया। मॉरीशर एक अन्य टैक्स हेवन देश है।”
हिंडनबर्ग ने कहा, “अडानी समूह पर हमारी मूल रिपोर्ट को लगभग 18 महीने हो चुके हैं। इसमें इस बात के पुख्ता सबूत पेश किए गए थे कि भारतीय समूह (अडानी) ‘कॉर्पोरेट इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला’ कर रहा था। हमारी रिपोर्ट ने ऑफशोर, मुख्य रूप से मॉरीशस-आधारित फर्जी कंपनियों के एक जाल को उजागर किया, जिनका इस्तेमाल संदिग्ध अरबों डॉलर के अघोषित लेनदेन, निवेश और शेयरों के हेरफेर के लिए किया गया।”
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “तब से सबूतों और 40 से ज़्यादा स्वतंत्र मीडिया जाँचों के बावजूद भारतीय प्रतिभूति नियामक SEBI ने अडानी समूह के खिलाफ़ कोई सार्वजनिक कार्रवाई नहीं की है। मीडिया ने बताया है कि सेबी अडानी समूह पर सिर्फ़ सांकेतिक, तकनीकी उल्लंघन का आरोप लगा सकता है, भले ही मामले की कितनी भी गंभीरता हो।”
सु्प्रीम कोर्ट के बयान का हवाला देते हुए हिंडनबर्ग ने कहा, “भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सेबी ने इन शेयरधारकों की जाँच में कोई ठोस नतीजा नहीं निकाला है। जून 2024 के अंत में अडानी के सीएफओ जुगेशिंदर सिंह ने अडानी समूह को दिए गए विनियामक नोटिसों को ‘तुच्छ’ बताया था। जाहिर तौर पर प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही उन्होंने उनकी गंभीरता की संभावना को खत्म कर दिया।”
माधबी बुच ने बताया चरित्रहनन
सेबी चेयरपर्सन माधबी बुच ने हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन करते हुए उन्हें ‘निराधार’ और ‘चरित्र हनन’ का प्रयास बताया है। उन्होंने कहा, “10 अगस्त 2024 को हिंडनबर्ग रिपोर्ट में हमारे खिलाफ लगाए गए आरोपों के संदर्भ में हम यह बताना चाहेंगे कि हम रिपोर्ट में लगाए गए निराधार आरोपों और आक्षेपों का दृढ़ता से खंडन करते हैं। इनमें कोई सच्चाई नहीं है। हमारा जीवन और वित्त एक खुली किताब है।”
माधबी ने आगे कहा, “पिछले कई वर्षों में सेबी को सभी आवश्यक जानकारियाँ पहले दी जा चुकी हैं। हमें किसी भी वित्तीय दस्तावेजों के बारे में बताने में कोई हिचकिचाहट नहीं है। इनमें वे भी शामिल हैं, जो उस अवधि से संबंधित हैं, जब हम पूरी तरह से निजी नागरिक थे। हम इसे किसी भी अधिकारी के सामने प्रस्तुत करने के तैयार हैं। इसके अलावा, पूर्ण पारदर्शिता के हित में हम नियत समय में एक विस्तृत बयान जारी करेंगे।”
माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने एक संयुक्त प्रेस बयान में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंडनबर्ग रिसर्च, जिसके खिलाफ सेबी ने प्रवर्तन कार्रवाई की है और कारण बताओ नोटिस जारी किया है, ने उसी के जवाब में चरित्र हनन का प्रयास करने का विकल्प चुना है। बता दें कि जुलाई 2024 में सेबी ने हिंडनबर्ग को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
रिपोर्ट पर राजनीति शुरू
इस रिपोर्ट के बाद कॉन्ग्रेस, टीएमसी, शिवसेना ठाकरे गुट ने राजनीतिक हमला बोला है। कॉन्ग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि ‘अडानी मेगा घोटाले’ की जाँच करने में सेबी की अनिच्छा को लंबे समय से देखा जा रहा है। उन्होंने कहा, “जनता के दबाव में सेबी के बोर्ड ने 28 जून 2023 को सख्त रिपोर्टिंग नियम फिर से लागू किए।”
उन्होंने आगे कहा, “इसने 25 अगस्त 2023 को सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति को बताया कि वह 13 संदिग्ध लेन-देन की जाँच कर रहा है। फिर भी जाँच कभी सफल नहीं हुई। सच्चाई यह है कि देश के सर्वोच्च अधिकारियों की मिलीभगत का पता अडानी के महाघोटाले की पूरी जांच के लिए जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) गठित करके ही लगाया जा सकता है।”
वहीं, तृणमूल कॉन्ग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा ने कहा, “क्रोनी कैपिटलिज्म अपने चरम पर है”। उन्होंने पूछा कि क्या सीबीआई और ईडी मामले दर्ज करेंगे। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर मोइत्रा ने लिखा, “असली अडानी स्टाइल- यहाँ तक कि सेबी के चेयरमैन भी उनके समूह में निवेशक हैं। क्रोनी कैपिटलिज्म अपने चरम पर है। CBI और ED – क्या आप POCA और PMLA के मामले दर्ज करेंगे या नहीं?”