Sunday, December 22, 2024
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शराब घोटाले में जमानत तो मिल गई पर CM ऑफिस नहीं जा सकते हैं अरविंद केजरीवाल, फाइल पर साइन करने की इजाजत भी नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने लगाई कई शर्तें

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस भुइयाँ दोनों ने एकमत होते हुए केजरीवाल को जमानत देने का फैसला किया, इस आधार पर कि आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है और मुकदमे की सुनवाई में अभी समय लगेगा।

दिल्ली शराब घोटाला केस में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से महत्वपूर्ण राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत देने का फैसला लिया है, जिसके बाद अब वो आज (13 सितंबर 2024) ही तिहाड़ जेल से बाहर आ जाएँगे। केजरीवाल को गिरफ्तारी के 177 दिनों बाद बेल मिली है। इसमें से 21 दिन उन्हें चुनाव प्रचार के लिए जमानत मिली थी, इस तरह वो कुल 156 दिन जेल में बिताने के बाद वो तिहाड़ से बाहर आ रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयाँ की बेंच ने यह फैसला सुनाया। केजरीवाल ने जमानत की याचिका दायर करते हुए अपनी गिरफ्तारी को भी चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई और केजरीवाल की ओर से प्रमुख वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलीलें पेश की थीं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत अरविंद केजरीवाल को दी गई जमानत की शर्तें इस तरह से हैं-

  • मुचलका: अरविंद केजरीवाल को 10-10 लाख रुपये के दो मुचलके भरने होंगे।
  • पब्लिक कमेंट: अरविंद केजरीवाल दिल्ली एक्साइज पॉलिसी केस की मेरिट पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि केजरीवाल इस केस को लेकर कोई भी सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे।
  • ऑफिस में नो-एंट्री: केजरीवाल को मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय में जाने की अनुमति नहीं होगी और न ही वह सरकारी फाइलों पर दस्तखत कर सकेंगे।
  • मुकदमे में सहयोग: अरविंद केजरीवाल को ट्रायल कोर्ट के सामने हर सुनवाई पर मौजूद होना होगा, जबतक कि उन्हें पेशी से छूट न मिले।
  • गवाहों से कोई संपर्क नहीं: जमानत पर बाहर रहने के दौरान वह केस से जुड़े गवाहों से संपर्क नहीं करेंगे, संपर्क की कोशिश भी नहीं कर सकते।

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी कानूनी थी और इसमें कोई प्रक्रियागत अनियमितता नहीं थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सीबीआई ने गिरफ्तारी के दौरान दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 के निर्देशों का पालन किया। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस भुइयाँ दोनों ने एकमत होते हुए केजरीवाल को जमानत देने का फैसला किया, इस आधार पर कि आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है और मुकदमे की सुनवाई में अभी समय लगेगा।

वहीं, जस्टिस भुइयाँ ने गिरफ्तारी की आवश्यकता और अनिवार्यता के बारे में अलग राय व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने 22 महीने तक केजरीवाल को गिरफ्तार नहीं किया और ईडी मामले में उनकी रिहाई के ठीक पहले उन्हें गिरफ्तार किया। जस्टिस भुइयाँ ने इस गिरफ्तारी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पहले से दी गई जमानत को विफल करने के प्रयास के रूप में देखा।

सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को ईडी मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी, और अब उन्होंने सीबीआई के मामले में भी जमानत हासिल की है। इस दौरान, कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया कि केजरीवाल को मुकदमे में सहयोग देना होगा और किसी भी प्रकार की सार्वजनिक टिप्पणी से बचना होगा।

बता दें कि दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़ा यह मामला दिल्ली सरकार की आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है। यह नीति बाद में रद्द कर दी गई थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का एक अलग मामला दर्ज किया था। सीबीआई और ईडी का आरोप है कि शराब नीति में संशोधन करके अनियमितताएं की गईं और लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ पहुँचाया गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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