Thursday, September 19, 2024
Homeराजनीतिजानिए कौन हैं पंडित टीका लाल टपलू, जिनके नाम पर कश्मीरी पंडितों के लिए...

जानिए कौन हैं पंडित टीका लाल टपलू, जिनके नाम पर कश्मीरी पंडितों के लिए पुनर्वास योजना शुरू करेगी BJP: यासीन मलिक के JKLF के आतंकियों ने कर दी थी हत्या

टीका लाल टपलू घाटी में रहने वाले वकील और भाजपा के शुरुआती नेताओं में से एक थे। उनका जन्म श्रीनगर में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा के बाद वे उच्च शिक्षा के लिए पंजाब और उत्तर प्रदेश चले गए। हालाँकि, शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे अपने लोगों की सेवा करने के लिए वापस जम्मू-कश्मीर लौट गए। लोग उन्हें प्यार से लालाजी या बड़े भाई कहते थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (14 सितंबर) को जम्मू में एक जनसभा को संबोधित करते हुए टीका लाल टपलू को याद किया। टपलू कश्मीर के निवासी थे और आतंकियों ने उनकी क्रूरता से हत्या कर दी थी। जम्मू-कश्मीर के लिए भाजपा द्वारा जारी संकल्प पत्र में टपलू के नाम से एक योजना शुरू करने की बात कही गई है। यह योजना कश्मीरी विस्थापितों के पुनर्वास के लिए होगा।

भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में कहा है कि वह विधानसभा में जीतकर सत्ता में आती है तो वह टीका लाल टपलू विस्थापित समाज पुनर्वास योजना (TLTVSPY) शुरू करेगी और कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास करेगी। इस योजना के माध्यम से कश्मीरी पंडितों, पश्चिमी कश्मीर के शरणार्थियों, वाल्मीकि, गोरखाओं सहित अन्य विस्थापित लोगों के पुनर्वास में तेजी लाने की बात कही गई है।

जम्मू के डोडा में टपलू को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “हमने पंडित टीका लाल टपलू के सम्मान में एक योजना शुरू करने का फैसला किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कश्मीर पंडितों को उनके अधिकार तेजी से मिलें।” बता दें कि टपलू की साल 1989 में आतंकियों ने हत्या कर दी थी।

कौन थे टपलू?

टीका लाल टपलू घाटी में रहने वाले वकील और भाजपा के शुरुआती नेताओं में से एक थे। उनका जन्म श्रीनगर में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा के बाद वे उच्च शिक्षा के लिए पंजाब और उत्तर प्रदेश चले गए। हालाँकि, शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे अपने लोगों की सेवा करने के लिए वापस जम्मू-कश्मीर लौट गए। लोग उन्हें प्यार से लालाजी या बड़े भाई कहते थे।

आतंकी उन्हें मारने के लिए लंबे समय से साजिशें रच रहे थे जिसका टपलू को इस बात का अहसास था। इसीलिए कट्टरपंथियों से बचाने के लिए उन्होंने अपने परिवार को दिल्ली में बसा दिया था, लेकिन वो खुद कश्मीर लौट गए थे। आखिरकार, 14 सितंबर 1989 को यासीन मलिक के आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के आतंकियों ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया।

घटना के दिन उनकेे घर के बाहर एक बच्ची जोर-जोर से रो रही थी। टपलू बाहर निकलकर उसके पास गए और उसकी माँ से पूछा कि वह क्यों रो रही है। उसकी माँ ने बताया कि बच्ची के स्कूल में कोई फंक्शन है और उसके पास पैसा नहीं है, इसलिए वह रो रही है। इसके बाद टपलू ने जेब से 5 रुपए निकालकर बच्ची को पकड़ा दिया। ठीक उसी समय सामने से आए आतंकियों ने उन्हें गोलियों से भून दिया।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

भले फाइनल हार गई टीम इंडिया, पर भारत की अर्थव्यवस्था में ₹11637 करोड़ जोड़ गया क्रिकेट वर्ल्ड कप: 48 हजार नई नौकरियाँ भी पैदा...

ICC द्वारा जारी की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 45 दिन चले इस विश्व कप के कारण भारत की अर्थव्यवस्था को ₹11,637 करोड़ का फायदा मिला है।

नंदू पासवान और गौतम पासवान के विवाद में जली नवादा की महादलित बस्ती, ‘बहुजनों पर हमला’ बता जाति की आग लगाने निकल पड़े राहुल...

बिहार को एक बार फिर से जातीय हिंसा की आग में झोंकने की कोशिश की जा रही है। नवादा में महादलित समुदाय के दर्जनों घरों में आग लगा दी गई।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -