Sunday, November 24, 2024
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क्या बिहार में ईसाई धर्मांतरण पर सवाल उठाना है गुनाह, क्या दुर्दांत अपराधी है मिथुन मिश्रा जो हथकड़ी में जकड़ा: सुशासन पर बाढ़ ही नहीं, पत्रकार की गिरफ्तारी भी धब्बा

मिथुन की गिरफ्तारी के बाद कुछ तस्वीरें सामने आई हैं जिसमें उन्हें हथकड़ी पहनाकर बिठाए दिखाया गया है। ऐसे में लोग बिहार पुलिस को टैग करते हुए ये भी कह रहे हैं कि मिथुन मिश्रा कोई दुर्दांत अपराधी नहीं बल्कि पत्रकार हैं लेकिन बिहार पुलिस के द्वारा लोकतंत्र की जन्मभूमि पर एक सम्मानित पत्रकार के सम्मान एवं प्रतिष्ठा को हथकड़ी लगा कर कुचल दिया गया है।

बिहार के मुजफ्फरपुर में बाढ़ प्रभावित लोगों को भड़काने के आरोप में 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इन 8 लोगों में एक नाम यूट्यूबर मिथुन मिश्रा का भी है। आरोप है कि उन्होंने भीड़ को इस प्रकार उकसाया कि भीड़ पुलिस फोर्स पर हमला कर बैठी। अब सोशल मीडिया पर कुछ लोग मिथुन की गिरफ्तारी की तस्वीरें देख कई तरह के सवाल उठा रहे हैं।

ये सवाल क्या है इससे पहले जान लेते हैं मिथुन मिश्रा आखिर हैं कौन और करते क्या हैं।

कौन हैं ‘बिहार वाला न्यूज’ के मिथुन मिश्रा

सोशल मीडिया पर सर्च करने पर आपको मिथुन मिश्रा की कई वीडियोज मिल जाएँगी। उनके अकॉउंट खंगालने पर पता चलता है कि वो बिहार वाला न्यूज पर रिपोर्टिंग करते हैं। उनके फॉलोवर्स भले एक्स पर ज्यादा नहीं है लेकिन उनकी रिपोर्टों पर रीच अच्छी-खासी आती है।

मिथुन की वीडियोज देखने के बाद पता चलता है कि वो बिहार के हालातों पर ग्राउंड रिपोर्टिंग करते हैं और जस की तस स्थिति अपने दर्शकों को बताते हैं। यूट्यूबर पर उनके 66 हजार के करीब सब्सक्राइबर्स हैं। वहीं फेसबुक पर 76 हजार फॉलोवर्स हैं

हालिया दिनों में उन्होंने बिहार में आई बाढ़ को लेकर रिपोर्टिंग की थी। इस रिपोर्टिंग के दौरान उन्होंने बताया था कि किस तरह बागमती नदी का पानी बढ़ते हुए इतना हो गया कि लोगों के घर टूट रहे हैं। लोग बेघर हो रहे हैं। अपनी वीडियोज में मनीष ने जाकर पीड़ितों से बात की थी जिसमें प्रभावित लोग अपना दर्द बाँटते दिखे थे।

पुलिस ने मिथुन मिश्रा को किया गिरफ्तार

इसके बाद शुक्रवार को गोपालपुर चौक पर बाढ़ राहत के लिए करीबन चार घंटे तक लोग प्रदर्शन करते रहे। इस दौरान बाढ़ पीड़ितों की पुलिस से भिड़ंत हुई। दोनों ओर से दर्जनों लोग चोटिल हुए। चूँकि इस खबर को उस समय यूट्यूबर मिथुन मिश्रा अपने अंदाज में रिकॉर्ड कर रहे थे। अब पुलिस का दावा है कि मिथुन ने वहाँ उस भीड़ को उकसाया था जिसने पुलिस पर हमला किया।

पुलिस ने इस मामले में 21 लोगों को नामजद कर लिया है। वहीं 180 अज्ञात आरोपितो की पहचान हो रही है। मिथुन की गिरफ्तारी पर थाना प्रभारी औराई, मुज़फ्फरनगर के मुताबिक,

“मिथुन मिश्रा के खिलाफ हमारे पास पर्याप्त सबूत हैं। उसी ने भीड़ को भड़काया जिसमें हमारी पुलिस फ़ोर्स के कई स्टाफ घायल हुए हैं। घायलों में महिला पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। कुछ के सिर तक फट गए हैं। हमने काफी समझाने की कोशिश की लेकिन भीड़ नहीं मानी। मिथुन मिश्रा पर हमने समुचित धाराओं में कार्रवाई की है। कुल 8 लोग गिरफ्तार हुए हैं जिसमें एक मिथुन मिश्रा भी शामिल है। इन सभी को जरूरी कानूनी कार्रवाई के बाद जेल भेजा जा रहा है।”

ईसाई धर्मांतरण की खोली थी पोल

बता दें कि भले ही मिथुन मिश्रा की गिरफ्तारी के पीछे बाढ़ का मामला प्रमुख बताया जा रहा हो, लेकिन सोशल मीडिया पर सवाल ये भी उठ रहे हैं कि कहीं मिथुन को इसलिए तो नहीं फँसा दिया गया क्योंकि उन्होंने पिछले दिनों ईसाई धर्मांतरण के खिलाफ रिपोर्टिंग करके पोल खोली थी।

सोशल मीडिया पर उनकी वीडियोज की क्लिप वायरल है जहाँ वो धर्मांतरण गिरोह को हड़काते दिख रहे हैं। उनकी इस रिपोर्टिंग को कुछ ही दिन बीते हैं कि अब ये गिरफ्तारी की बात सामने आ गई। ऐसे में कहा जा रहा है कि मिथुन की गिरफ्तारी का मुख्य कारण ईसाई मिशनरियों द्वारा हिंदुओं के धर्मांतरण की रिपोर्टिंग हैं।

मिथुन के हाथ में हथकड़ी देख लोग आगबबूला… क्या कानून के मुताबिक ये सही है?

मिथुन की गिरफ्तारी के बाद कुछ तस्वीरें सामने आई हैं जिसमें उन्हें हथकड़ी पहनाकर बिठाए दिखाया गया है। ऐसे में लोग बिहार पुलिस को टैग करते हुए ये भी कह रहे हैं कि मिथुन मिश्रा कोई दुर्दांत अपराधी नहीं बल्कि पत्रकार हैं लेकिन बिहार पुलिस के द्वारा लोकतंत्र की जन्मभूमि पर एक सम्मानित पत्रकार के सम्मान एवं प्रतिष्ठा को हथकड़ी लगा कर कुचल दिया गया है। मानवाधिकार आयोग को टैग करके कहा जा रहा है कि मिथुन मिश्रा के अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए।

मिथुन के हाथ में लगी हथकड़ी पर सवाल इसलिए ही उठ रहा है कि क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने एक दफा (सुनील बत्रा बनाम दिल्ली प्रशासन (1978) 4 SSC 409) के केस में साफ कहा था कि पुलिस किसी व्यक्ति को हथकड़ी नहीं लगा सकती और अगर वह ऐसा करती है तो यह पूरी तरह से अवैधानिक होगा और यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 22 का उल्लंघन होगा। अनुच्छेद 21 किसी भी व्यक्ति को दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है।

इसके अलावा अंजनी कुमार सिन्हा बनाम स्टेट ऑफ बिहार 1992 केस में बताया गया था हथकड़ी लगाना पकड़े गए आरोपित के चरित्र पर निर्भर करता है। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर आरोपित द्वारा कस्टडी से भागने या लोक शांति को भंग करने की आशंका तो तो वैसे हालात में उसे पुलिस द्वारा हथकड़ी लगाई जा सकती है। कुछ अन्य मामलों में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर पुलिस किसी को हथकड़ी लगाना चाहती है तो उसे तर्कसंगत वजह बताते हुए संबंधित अदालत न्यायालय से पहले अनुमति लेनी होगी।

क्यों यूट्यूबर्स हो रहे गिरफ्तार

यही वजह है कि मिथुन के हाथ में लगी हथकड़ी को देख लोग गुस्सा हो रहे हैं। उनकी तुलना बिहार के मनीष कश्यप से की जा रही है। कहा जा रहा है कि जैसी लड़ाई मनीष कश्यप ने अकेले लड़ी थी वैसी ही लड़ाई मिथुन को भी लड़नी पड़ रही है। मनीष के साथ भी कोई नहीं आया था और मिथुन के साथ भी कोई नहीं दिख रहा है।

गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से बिहार में यूट्यूब चैनल बनाकर रिपोर्टिंग करने वाले यूट्यूबर्स की गिरफ्तारी की घटना काफी चर्चा में रही है। पिछले साल मनीष कश्यप के साथ ऐसा हुआ था और अब मिथुन मिश्रा के साथ हुआ है। बिहार की स्थिति जानने-समझने वाले मानते हैं कि इस तरह इन यूट्यूबर्स को टारगेट इसलिए किया जाता है क्योंकि ये बिन किसी दबाव में आए निष्पक्ष रिपोर्टिंग करते हैं और जनता की आवाज उठाते हैं। ऐसे में ये प्रशासन को अपने लिए खतरा लगते हैं और हमेशा निशाने पर रहते हैं। पहले भी कई आवाज इस प्रकार शांत कराई जा चुकी हैं। इनमें रवि भट्ट, निभा सिंह, अभिषेक तिवारी, अभिषेक मिश्रा, सूरज, रवि रंजन जैसे यूट्यूबर्स के नाम थे। ऑपइंडिया पत्रकार अजीत झा ने इस पर विस्तृत रिपोर्ट की थी। आप इसे इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

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