दिल्ली उच्च न्यायलय ने ट्रायल कोर्ट का फैसला पलटते हुए कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को 1984 सिख दंगों के मामले में दोषी करार दिया है। ज्ञात को कि 1984 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद सिखों के खिलाफ दंगे भड़क गए थे, जिसमें सज्जन कुमार और जगदीश टाईटलर सहित कांग्रेस पार्टी के कई बड़े नेताओं के नाम आये थे। ऐसे में उस घटना के 34 साल बाद आया ये फैसला काफी अहम माना जा रहा है। नानावती आयोग की सिफारिश के बाद सीबीआई ने 2005 में इस मामले फिर से जांच शुरू की थी। सज्जन कुमार पर लगे दंगे भड़काने की साजिश रचने और भीड़ को उकसाने के आरोप को अदालत ने सही पाया। इस निर्णय के बाद अब उन्हें 31 दिसम्बर तक आत्मसमर्पण करना होगा।
बता दें कि न्यायादिश एस मुरलीधर और विनोद गोयल की पीठ ने सीबीआई, दंगा पीड़ितों और आरोपियों की दलीलों को सुनने के बाद 29 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। उच्च अदालत ने 2013 में ट्रायल कोर्ट द्वारा सज्जन कुमार को आरोपों से बरी किये जाने के फैसले को पलटते हुए उन्हें ह्त्या का अपराध, समूहों के बीच विद्वेष फैलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का दोषी पाया।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार उनके अलावा चार अन्य भी दोषी पाए गये और उनके खिलाफ ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाये गए उम्रकैद के फैसले को उच्च अदालत ने बरकरार रखा। रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने कहा कि पुलिस द्वारा सक्रिय रूप से आरोपियों को बचाने की कोशिश की गई। दोषियों में कांग्रेस से पार्षद रहे बलवान खोखर और कांग्रेस के पूर्व विधायक महेंदर यादव भी शामिल हैं।
पिछले महीने पटियाला हाउस कोर्ट में मामले में गवाह चाम कौर ने सज्जन को पहचान लिया था। चाम कौर का कहना था कि घटनास्थल पर मौजूद सज्जन ने कहा था कि हमारी मां (इंदिरा गांधी) का कत्ल सिखों ने किया है, इसलिए इन्हें नहीं छोड़ना है। बाद में उसी भीड़ ने उकसावे में आकर मेरे बेटे और पिता का कत्ल कर दिया। चम कौर ने अदालत को बताया था कि सुल्तानपुरी क्षेत्र में जब एक नवंबर 1984 को जब वह बकरी को तलाश रहीं थीं, तब सज्जन भीड़ से कह रहे थे कि हमारी मां मार दी, सरदारों को मार दो। कौर के मुताबिक, भीड़ ने उनके बेटे कपूर सिंह, पिता सरदार जी सिंह को भी काफी मारा और छत से नीचे फेंक दिया था।