Sunday, May 5, 2024
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सर्वे रिपोर्ट: मोदी-राज में एक साल में 10% घटी रिश्वतखोरी, बिहार-राजस्थान टॉप पर

भाजपा-शासित हरियाणा, गुजरात, गोवा भी सबसे कम भ्रष्ट सूबों में हैं। सबसे अधिक भ्रष्ट सूबों में कॉन्ग्रेस का 'योगदान' केवल राजस्थान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कर्नाटक और पंजाब में भी घूसखोरी प्रचलित पाई गई।

भ्रष्टाचार कॉन्ग्रेस शासित यूपीए की सत्ता जाने का सबसे बड़ा कारण बना, और नरेंद्र मोदी के 2014 में प्रधानमंत्री बनने और 2019 में बने रहने का सबसे बड़ा कारण इसी एक सामाजिक बीमारी पर नकेल कसना रहा। लेकिन इसके बाद भी कॉन्ग्रेस ही नहीं, अधिकांश अन्य गैर-भाजपा पार्टियाँ इससे कोई सबक सीखने में दिलचस्पी ले रही हों, ऐसा बिलकुल भी नहीं लग रहा है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था ट्रांस्परेंसी इंटरनेशनल के हालिया सर्वे में भारत ने तो 3 स्थानों की छलाँग और देश के भीतर रिश्वरतखोरी की कुल घटनाओं में 10% कमी आई है, लेकिन चोटी पर मौजूद राज्यों की हालत चिंताजनक है। रिपोर्ट के मुताबिक कॉन्ग्रेस के राज्य राजस्थान और भाजपा-जद(यू) के बिहार से सर्वे में हिस्सेदारी करने वालों में क्रमशः 78% और 75% लोगों को इस साल रिश्वत देनी पड़ी है। 180 देशों में भारत 2018 के 81 से इस साल 78 पर भले ही आ गया हो, लेकिन इन उपरोक्त और कुछ अन्य राज्यों की बदहाली चिंताजनक है।

तकरीबन 2 लाख जवाबों के आधार पर बने इस सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक जहाँ पिछले साल देश के 56% लोगों को रिश्वतखोरी का सामना करना पड़ा, वहीं इस साल ऐसे लोगों की हिस्सेदारी गिर कर 51% पर आ गई है। दक्षिण भारत की ओर रुख करें तो 67% भ्रष्टाचार के साथ तेलंगाना चोटी पर है। यही नहीं, इन 67% लोगों में से भी 56% को तो कई-कई बार रिश्वत के कुचक्र से गुज़रना पड़ा है। तेलंगाना के लिए सबसे चिंताजनक चीज़ यह है कि पिछले साल उसके केवल 43% नागरिकों को भ्रष्टाचार से रूबरू होना पड़ा था- यानी तेलंगाना में भ्रष्टाचार और रिश्वतख़ोरी में डेढ़ गुना बढ़ोतरी हुई है

वहीं इन अपेक्षाकृत ‘विकसित’ और ‘सभ्य’ माने जाने वाले प्रदेशों, और राजस्थान-बिहार की तरह राजनीतिक रूप से ‘ताकतवर’ राज्यों, के मुकाबले आदिवासी-बहुल, पिछड़े-बीमारू और लोक सभा में केवल 22 सांसद भेजने वाले ओडिशा में भ्रष्टाचार बेहद कम रहा है

इसके अलावा भाजपा-शासित हरियाणा, गुजरात, गोवा भी सबसे कम भ्रष्ट सूबों में हैं। सबसे अधिक भ्रष्ट सूबों में कॉन्ग्रेस का ‘योगदान’ केवल राजस्थान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कर्नाटक (जहाँ कुछ समय पहले तक उसी का शासन रहा) और पंजाब में भी घूसखोरी प्रचलित पाई गई।

गौरतलब है कि मोदी सरकार के आने के बाद से घूसखोरी पर लगाम लगाने के प्रयासों में बहुत तेज़ी आई है। सरकार ने सब्सिडी लीकेज रोकने के लिए तो कदम उठाए ही हैं, रिश्वतखोरों पर भी कार्रवाई बार-बार की है। हाल ही में पाँचवीं बार मोदी सरकार ने सरकारी अधिकारियों के एक पूरे समूह को भ्रष्टाचार के लिए सरकारी सेवा से बाहर कर दिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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