रविवार (जनवरी 5, 2019) को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में लाठी-डंडों से लैस वामपंथियों ने जम कर उत्पात मचाया। जेएनयू कैंपस के अंदर हुई इस हिंसा को लेकर कई सारी भ्रामक सूचनाएँ फैलाई गई। हालाँकि जल्द ही इनके झूठ का पर्दाफाश हुआ और कैंपस के अंदर हुआ हिंसा में कॉन्ग्रेस की कड़ी उभरकर सामने आई और साथ ही हिंसा के पीछे वामपंथियों की भूमिका भी सामने आई। हिंदुत्व की राजनीति से लेकर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री तक सब पर आरोप लगाने वाले नैरेटिव को खूब फैलाया गया।
#WATCH Delhi: Jawaharlal Nehru University Students’ Union president & students attacked by people wearing masks on campus. ‘What is this? Who are you? Step back, Who are you trying to threaten?… ABVP go back,’ can be heard in video. (note: abusive language) pic.twitter.com/gYqBOmA37c
— ANI (@ANI) January 5, 2020
हमले के बाद कई वीडियो सामने आए, जिसमें एक के बाद एक खतरनाक रूप से गढ़े गए प्रोपेगेंडा को देखा जा सकता है। कैंपस में हिंसा का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें नकाबपोश लोग डंडे और लोहे की रॉड लेकर मारपीट करते नजर आ रहे हैं। इसी दौरान प्रदर्शनकारी यह कहते सुने जा सकते हैं, ‘कौन हो तुम लोग? किसे डराना चाह रहे हो?… एबीवीपी वापस जाओ।’
You want proof. Here’s the proof: ABVP leader in mask and without mask in same dress: pic.twitter.com/CMa0VrMmGc
— Reclaim India (@AgeOfGomutra) January 5, 2020
वीडियो सामने आने के बाद जब वामपंथियों के प्रोपेगेंडा ने रफ्तार पकड़ ली तो एक ट्विटर यूजर ने आरोप लगाया कि वीडियो में नकाबपोश गुंडों में से एक लड़की एबीवीपी कार्यकर्ता थी।
दरअसल यह दावा उनके कपड़ों को आधार बनाकर किया गया था, जो दोनों ने पहने हुए थे। बता दें कि वीडियो में जिस एबीवीपी के कार्यकर्ता पर आरोप लगाया गया, उनका नाम शाम्भवी है, जो कि खुद हमले का शिकार हुई हैं। उन्हें काफी चोटें आई हैं और वो रविवार को एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती थीं।
यह पता लगाने के लिए कि क्या नकाबपोश गुंडी और शाम्भवी, दोनों एक ही व्यक्ति हैं, हमें दोनों तस्वीरों को बारीकी से देखना चाहिए।
अगर हम दोनों तस्वीरों को देखें तो जाहिर तौर पर दिखता है कि दोनों की शारीरिक बनावट एक दूसरे से बिल्कुल अलग है। दोनों तस्वीरों को एक साथ देखते हैं तो यह भी स्पष्ट होता है कि नकाबपोश गुंडी दाईं ओर की लड़की (एबीवीपी कार्यकर्ता शाम्भवी) की तुलना में शारीरिक रूप से अधिक वजनदार है।
अगला, सबसे स्पष्ट चीज जो दिखाई देती है, वो है उनके शर्ट के चेक-पैटर्न में अंतर।
जैसा कि बहुत स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि शाम्भवी की शर्ट के चेकों की तुलना में नकाबपोश गुंडी की शर्ट पर बहुत छोटे चेक बने हुए हैं। साथ ही चेक का पैटर्न भी पूरी तरह से अलग दिखाई देता है।
इसके अलावा दोनों में कुछ अन्य अंतर भी हैं। दोनों लड़कियों के जूते अलग-अलग हैं। अब यहाँ पर यह उल्लेख किया जाना आवश्यक है कि आरोप ये है कि ये दोनों चित्र लगभग उसी समय के हैं। यदि इन आरोपों को सच माना जाता है, तो इसका मतलब है कि शाम्भवी ने पहले अपने चेहरे को ढँककर हमला किया और फिर अस्पताल गईं।
अगर ऐसा है, तो ऊपर की तस्वीरों से यह बात सामने आती है कि शाम्भवी ने निम्नलिखित काम किया है।
1. उसने सभी पर हमला करने के बाद और अस्पताल जाने से पहले अपने जूते बदल दिए क्योंकि नकाबपोश गुंडी स्निकर्स पहने दिख रही है और अस्पताल में शाम्भवी चप्पल पहने हुए हैं।
2. रहस्यमय तरीके से शाम्भवी ने खुद के चेहरे पर नकाब लगाने और जेएनयू में हमला करने के बाद जाहिर तौर पर एक कलावा पहना, इससे पहले कि वह अस्पताल पहुँचती, घायल हो गईं।
हालाँकि इन दोनों संभावनाओं का कोई मतलब नहीं बनता है।
निश्चित तौर पर इन तस्वीरों में दो लड़कियों का एक ही होना असंभव है। इसलिए यह आरोप कि नकाबपोश गुंडी एबीवीपी कार्यकर्ता शाम्भवी ही है, यह एक प्रोपेगेंडा था, किसी के द्वारा प्रेरित था।
उल्लेखनीय है कि ये भिड़ंत JNU के वामपंथी छात्रसंघ के द्वारा सर्वर डाउन करने को लेकर हुआ था। बता दें कि रविवार को रजिस्ट्रेशन का आखिरी दिन था। एबीवीपी के छात्र रजिस्ट्रेशन के लिए गए थे। मगर लेफ्ट विंग के छात्रों ने सर्वर रूम को लॉक कर दिया और वाई-फाई काट दिया। जिसकी वजह से उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया। इसके बाद संगठन के छात्र विवेकानंद मूर्ति के पास रजिस्ट्रेशन की माँग कर रहे थे।
इस बीच लेफ्ट के लोगों ने आकर एबीवीपी समर्थित छात्रों पर हमला कर दिया। जेएनयू एबीवीपी प्रेसिडेंट दुर्गेश कुमार ने इसकी जानकारी दी। इसके साथ ही बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने छात्राओं के प्राइवेट पार्ट्स पर लाठी-डंडों से मारपीट और बाथरूम में ले जाकर दुर्व्यवहार करने का दावा किया है।