Monday, November 18, 2024
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NPR की प्रक्रिया पर रोक लगाने से SC का इनकार, जनहित याचिकाओं की सुनवाई पर केंद्र को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 22 जनवरी को स्पष्ट किया था कि वो केंद्र सरकार का पक्ष जाने बगैर कोई निर्णय नहीं लेगा। तब कोर्ट ने इस क़ानून के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को चार सप्ताह का समय दिया, जिसकी सुनवाई पाँच सदस्यीय संविधान पीठ करेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (27 जनवरी, 2020) को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) प्रक्रिया को चुनौती देने वाली नई याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। हालाँकि, सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इन प्रक्रियाओं पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही सभी नई याचिकाओं को नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) की अन्य याचिकाओं के साथ सूचीबद्ध कर दिया। इन पर पाँच सदस्यीय संविधान पीठ क़रीब तीन सप्ताह बाद सुनवाई करेगी।

दरअसल, याचिका में डेटा की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाया गया था। एक याचिकाकर्ता ने कहा था कि नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम, 2003 के तहत एकत्र की जा रही जानकारी के तहत दुरुपयोग से किसी भी सुरक्षा की गारंटी नहीं है।

इसके आगे याचिका में आगे कहा गया कि यह आधार या जनगणना के लिए इकट्ठा की गई जानकारी से काफी अलग है, जिसमें एकत्र की गई सूचना/ डेटा को क़ानून के अनुसार सुरक्षा और सुरक्षा की गारंटी दी जाती है। याचिका में इस बात पर भी चिंता जताई गई कि इकट्टा किए डेटा के कारण नागरिकों की निगरानी हो सकती है। हालाँकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ता की सुनवाई पर NPR प्रक्रिया में तुरंत रोक लगाने से इनकार कर दिया।

ख़बर के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 22 जनवरी को स्पष्ट किया था कि वो केंद्र सरकार का पक्ष जाने बगैर कोई निर्णय नहीं लेगा। तब कोर्ट ने इस क़ानून के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को चार सप्ताह का समय दिया, जिसकी सुनवाई पाँच सदस्यीय संविधान पीठ करेगी।

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायाधीश एस अब्दुल नज़ीर और न्यायाधीश संजीव खन्ना की पीठ ने इस कानून को चुनौती देने वाली दर्जनों याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी किया। हालाँकि, पीठ ने साफ़ किया त्रिपुरा और असम से संबंधित याचिकाओं पर अलग से विचार किया जाएगा क्योंकि इन राज्यों की नए नागरिकता क़ानून को लेकर परेशानी देश के अन्य हिस्सों से अलग है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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