Sunday, September 8, 2024
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954 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी वाले इंजीनियर यादव सिंह को CBI ने फिर किया गिरफ्तार

अप्रैल 2004 से 4 अगस्त 2015 के बीच यादव सिंह ने आय से अधिक 23.15 करोड़ रुपए जमा किए। ये उनकी आय के स्रोत से लगभग 512.6 प्रतिशत ज्यादा है।

भ्रष्टाचार के मामले में केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने नोए़डा अथॉरिटी के पूर्व इंजीनियर यादव सिंह को एक बार फिर से गिरफ्तार कर लिया है। हाल ही में यादव सिंह जमानत पर रिहा हुए थे। यादव सिंह पर भ्रष्टाचार के अलावा आय से अधिक संपत्ति समेत कई मामले चल रहे रहे हैं। बता दें कि यादव सिंह नोएडा अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर रह चुके हैं।

पहली बार यादव सिंह के खिलाफ 2015 में जाँच शुरू हुई थी। 2016-17 में CBI ने उनके खिलाफ दो चार्जशीट तैयार की थी। CBI ने अपने आरोप पत्र में कहा था कि अप्रैल 2004 से 4 अगस्त 2015 के बीच यादव सिंह ने आय से अधिक 23.15 करोड़ रुपए जमा किए। ये उनकी आय के स्रोत से लगभग 512.6 प्रतिशत ज्यादा है। यादव सिंह पर कुल 954 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का भी आरोप लगा है। जनवरी 2018 में जब CBI ने इस मामले की जाँच शुरू की, तब वो नोएडा अथॉरिटी में बतौर चीफ इंजीनियर काम कर रहे थे।

CBI के एक अधिकारी ने बताया कि जब यादव चीफ इंजीनियर थे, तब कुल 116.39 करोड़ का टेंडर 5 प्राइवेट फर्म्स को जारी हआ था। ये टेंडर फर्म्सगुल इंजीनियरिंग, एसएमपी टेक्नोलॉजी, अबू इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड और संजय इलेक्ट्रॉनिक्स तथा शाकंभरी प्रोजेक्ट को दिए गए थे। CBI इस मामले की भी जाँच कर रही है।

CBI का आरोप है कि गुल इंजीनियरिंग के मालिक जावेद अहमद, यादव सिंह के पुराने और करीबी दोस्त हैं। इस कंपनी को नियमों का उल्लंघन करके टेंडर दिया गया था। जाँच एजेंसी का कहना है कि जावेद अहमद प्राय: यादव सिंह को रिश्वत दिया करते थे। आरोप है कि यादव व अथॉरिटी के अन्य अधिकारियों ने तमाम नियमों को ताक पर रखकर इस कंपनी को 31 ठेके दिए थे। इसके बदले में डायरेक्टर जावेद अहमद ने यादव सिंह को बतौर रिश्वत एक इनोवा कार भी दी थी।

गौरतलब है कि CBI यादव सिंह को इसके पहले भी दो अन्य मामलों में गिरफ्तार कर चुकी है। जिसमें यादव सिंह लंबे समय तक जेल में रहे थे और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वह हाल ही में जमानत पर जेल से रिहा हुए थे। हालाँकि कोर्ट ने CBI को इस बात की छूट दी थी कि यदि यादव सबूत के साथ छेड़छाड़ करने या गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश करें तो वह जमानत रद्द करने के लिए आवेदन कर सकती है। बता दें कि यादव सिंह का नाम उत्तर प्रदेश के कई दिग्गज नेताओं के साथ जोड़ा जाता रहा है और यह भी आरोप लगता रहा है कि यादव सिंह रिश्वत की रकम को नेताओं तक पहुँचाते थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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