दिल्ली में हुए हिन्दू-विरोधी दंगों में महिलाओं के साथ भी ज्यादतियाँ की गईं। करावल नगर में हिन्दू समाज की बेटियों के साथ अश्लीलता की गई। शिव विहार में महिलाएँ अपने घरों में दुबकी बैठी हुई थीं क्योंकि अगर दंगाई इस्लामी भीड़ वहाँ स्थित ‘प्राचीन हनुमान मंदिर’ के बगल वाले नाले को पार कर जाती तो उनके साथ बहुत बुरा हो सकता था। अपने घर की बहू-बेटियों को बचाने के लिए हिन्दू समाज के लोग ईंट-पत्थर खाते रहे, जबकि फैसल फ़ारूक़ के राजधानी स्कूल के ऊपर से पत्थरबाजी, बमबारी और गोलीबारी होती रही। मंदिर को बचाने के लिए युवाओं ने पूरा जोर लगाया।
इसी क्रम में सैकड़ों घायल हुए। ऑपइंडिया की टीम ग्राउंड पर पहुँची और हमने वहाँ कई महिलाओं से बातचीत कर उनके मन की बात जानी। कई पुरुषों ने कैमरे के सामने सच्चाई बताने से इनकार कर दिया (उनका डर जायज भी है) लेकिन महिलाओं ने हिम्मत दिखाते हुए हमसे बातचीत की और खुल कर अपने अनुभव तो साझा किए ही, दंगाई भीड़ की क्रूरता को भी सामने रखा। ग़रीब घर की एक महिला ने बताया कि हिन्दू लोगों की कहीं और कोई नहीं सुनता।
एक अन्य दलित महिला ने बताया कि समुदाय विशेष के लोग आकर कहते हैं कि उनके घरों को आग के हवाले कर देंगे लेकिन कोई उन पर कार्रवाई नहीं करता। महिलाओं ने बताया कि अगर उनके घर के पुरुष बाहर डटे नहीं रहते तो दंगाई भीड़ उनके घरों में घुस जाती। एक अन्य महिला ने बताया कि उस क्षेत्र के समुदाय विशेष को सब पता था कि क्या होने वाला है जबकि हिन्दू अनजान थे। महिला ने हमसे बातचीत करते हुए कई बड़े खुलासे किए। उन्होंने ऑपइंडिया की टीम से कहा:
“समुदाय विशेष के लोग अपने बच्चों को स्कूल से पहले ही लेकर चले गए थे। हमें काफ़ी देर से ये चीजें पता चलीं। आख़िर इन्हें कैसे पता चला कि कुछ होने वाला है? ऐसा इसीलिए, क्योंकि सब इनकी ही सोची-समझी साजिश थी। राजधानी स्कूल में दिखावटी तोड़फोड़ हुई है। असली नुकसान तो हिन्दुओं को हुआ है। हम सब बहुत डरी हुई हैं। हमें रात-रात भर नींद नहीं आती है। वो लोग छोटे-छोटे पर पथराव करते हैं। हम निहत्थे लोग हैं। हमारे घर में डंडे भी हों तो हम उसे कचरा समझ के फेंक देते हैं। उनके पास काफ़ी सारे हथियार होते हैं। हमारे पास अपने बच्चों को लेकर घरों में दुबके रहने के अलावा कोई चारा नहीं है।”
ये महिलाएँ शिव विहार, प्रेम नगर, प्रेम विहार और उसके आसपास के इलाक़ों की हैं। उन्होंने बताया कि हिन्दुओं के घर के लोग रोजमर्रा के काम और अपनी ड्यूटी के कारण दिन भर घर से बाहर रहते हैं और अगर ऐसे समय में दंगाई भीड़ हमला करती है तो वो भला उनका सामना कैसे करेंगी? महिलाओं ने कहा कि ये सब सोची-समझी साज़िश थी, ताकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा के दौरान उपद्रव किया जा सके।
महिलाओं ने पुलिस की भी आलोचना की। उन्होंने बताया कि जब मजहबी भीड़ दंगे कर रही थी, तब पुलिस कह रही थी कि उनके पास हथियार इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है। लोग पुलिस ने नाराज़ दिखे। वहाँ कुछ युवा भी उपस्थित थे और उन सबने बताया कि समुदाय विशेष के लोगों ने अपने घरों में अब भी हथियार जमा कर के रखे हैं, जिसकी जाँच होनी चाहिए नहीं तो आगे और भी खतरा बढ़ सकता है।
इन महिलाओं की सरकार व प्रशासन से माँग है कि उनकी सुरक्षा के तगड़े बंदोबस्त किए जाएँ। उन्हें उम्मीद है कि जब मीडिया में ये ख़बर आएगी तो उनकी आवाज़ सुनी जाएगी और उन्हें दंगाइयों के भय से मुक्ति दिलाने की दिशा में प्रयास किया जाएगा। हालाँकि, उस क्षेत्र में अभी भी तनाव व्याप्त है और अफवाहों का बाजार गर्म है। हिन्दू अपनी जली हुई दुकानों की मरम्मत में लगे हुए हैं।
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