Friday, May 3, 2024
Homeरिपोर्टमीडियातुम फेक न्यूज़ की फैक्ट्री हो, घृणा फैलाते हो: इंटरव्यू माँग रहे 'द प्रिंट'...

तुम फेक न्यूज़ की फैक्ट्री हो, घृणा फैलाते हो: इंटरव्यू माँग रहे ‘द प्रिंट’ को कपिल मिश्रा ने लताड़ा

"मुझे ज़रूरत ही नहीं है कि अपना समर्थन साबित करने के लिए तुम्हारे पोर्टल में लेख प्रकाशित करवाऊँ। दिल्ली की जनता ने तुम्हारे प्रोपेगेंडा को नकार दिया है। तुम जाकर इस पर लेख लिखो कि मोहम्मद शाहरुख़ बचपन में कितना क्यूट था।"

नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हुए हिन्दू-विरोधी दंगों में मीडिया ने जम कर फेक न्यूज़ फैलाया और मुस्लिम दंगाइयों को बचाने के लिए हिन्दुओं को बदनाम किया। इनमें एनडीटीवी, ‘द वायर’ और ‘स्क्रॉल’ जैसे मीडिया संस्थान शामिल हैं। इनमें ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ के अध्यक्ष शेखर गुप्ता का पोर्टल ‘द प्रिंट’ भी शामिल है, जिसने दिल्ली दंगों में हिन्दुओं का पक्ष छिपाया और मुस्लिम दंगाई भीड़ को बचाने के लिए हर कोशिश की। दिल्ली के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा को बदनाम करने वाले न्यूज़ पोर्टलों में एक ‘द प्रिंट’ भी शामिल था। वही ‘द प्रिंट’ अब कपिल मिश्रा का इंटरव्यू लेना चाहता है।

भाजपा नेता कपिल मिश्रा से ‘द प्रिंट’ ने संपर्क साधा और एक इंटरव्यू देने की गुहार लगाई। उसके एक पत्रकार ने कपिल मिश्रा को व्हाट्सप्प पर मैसेज कर कहा कि वो उन्हें कॉल करने का प्रयास कर रहा है, क्योंकि उसे उनसे मुलाक़ात करनी है। पत्रकार ने इंटरव्यू के लिए समय देने की गुहार लगाई। साथ ही उसने ये भी दावा किया कि कपिल मिश्रा को हर जगह से ख़ासा समर्थन मिल रहा है। उसने कहा कि वो ‘द प्रिंट’ में कपिल मिश्रा पर एक लेख अथवा प्रोफाइल तैयार करना चाहता है।

इसके बाद मिश्रा ने उस पत्रकार को जो रिप्लाई किया, वो आप भी देखिए। यहाँ हम उनके ही शब्दों में उनके जवाब को हूबहू पेश कर रहे हैं। कपिल मिश्रा ने कहा कि उनके इसी बयान को ‘द प्रिंट’ को दिया आधिकारिक बयान समझा जाए:

“तुम्हारा न्यूज़ पोर्टल ‘द प्रिंट’ एक पक्षपाती फेक न्यूज़ फैक्ट्री है। बावजूद इसके कि तुमलोग मेरे ख़िलाफ़ लगातार एक घृणास्पद अभियान चला रहे हो, मुझे चारों ओर से भारी समर्थन मिल रहा है। ज़मीन पर तुम जहाँ भी लोगों से बात करोगे वहाँ से मेरे लिए समर्थन आएगा लेकिन ‘द प्रिंट’ जैसी फेक न्यूज़ फैक्ट्री को ये पसंद नहीं। मुझे ज़रूरत ही नहीं है कि अपना समर्थन साबित करने के लिए तुम्हारे पोर्टल में लेख प्रकाशित करवाऊँ। दिल्ली की जनता ने तुम्हारे प्रोपेगेंडा को नकार दिया है। तुम जाकर इस पर लेख लिखो कि मोहम्मद शाहरुख़ बचपन में कितना क्यूट था। तुम लिखो कि कैसे ‘बुरे हिन्दुओं’ ने ताहिर हुसैन को एक आतंकवादी बनने के लिए मजबूर कर दिया।”

कपिल मिश्रा ने अपने इस बयान और व्हाट्सप्प स्क्रीनशॉट को ट्विटर पर भी शेयर किया। ‘द प्रिंट’ को आइना दिखाने के लिए लोग उनकी वाहवाही भी कर रहे हैं। ‘द प्रिंट’ ने अपने एक लेख में पूछा था कि क्या रोड जाम कर देना इतना बड़ा गुनाह है कि कोई क़ानून अपने हाथ में ले ले? पहली बात तो ये कि 2 महीने से रोड जाम करने से लाखों लोगों को प्रतिदिन परेशानी हुई। दूसरी बात, क़ानून हाथ में किसने लिया? इस्लामी टोपी पहने वो 40 लोग कौन थे, जिन्होंने ब्रह्मपुरी में विनोद कुमार को मार डाला? साथ ही ‘द प्रिंट’ रोड जाम करने को सही ठहराता है और कहता है कि तभी तो अटेंशन मिलेगा।

जब घर में आग लगेगी तो 200 लिटर फ्री पानी काम नहीं आएगा: कपिल मिश्रा की ऑपइंडिया से बातचीत

जुटाए ₹72 लाख: दिल्ली दंगे में मारे गए हिन्दुओं के परिवारों के लिए आगे आए कपिल मिश्रा और तजिंदर बग्गा

दिल्ली के जमनापार में थी बड़े कत्लेआम की तैयारी, क्या कपिल मिश्रा ने राजधानी को बड़ी हिंसा से बचा लिया?

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

CAA विरोधी प्रदर्शन में हिंसा भड़काने के लिए NewsClick ने चीन के पैसे का किया इस्तेमाल, अमेरिका के रास्ते तीस्ता सीतलवाड़ को मिला पैसा:...

गवाहों ने बताया है कि दिल्ली के हिंदू-विरोधी दंगों में इस्तेमाल किए गए हथियारों को खरीदने के लिए न्यूजक्लिक के माध्यम से चीनी पैसों का इस्तेमाल किया गया।

TV पर प्रोपेगेंडा लेकर बैठे थे राजदीप सरदेसाई, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने निकाल दी हवा: कहा- ये आपकी कल्पना, विपक्ष की मदद की...

राजदीप सरदेसाई बिना फैक्ट्स जाने सिर्फ विपक्ष के सवालों को पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त से पूछे जा रहे थे। ऐसे में पूर्व सीईसी ने उनकी सारी बात सुनी और ऑऩ टीवी उन्हें लताड़ा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -