Sunday, September 8, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयगुरुद्वारे पर आतंकी हमला: फिदायीन ने खुद को उड़ाया, बंदूकधारियों से चल रही मुठभेड़,...

गुरुद्वारे पर आतंकी हमला: फिदायीन ने खुद को उड़ाया, बंदूकधारियों से चल रही मुठभेड़, 4 की मौत

अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक सिखों पर यह पहला हमला नहीं है। हालिया दिल्ली दंगों के बाद भी उन्हें निशाना बनाया गया था। 2018 में जलालाबाद में हुए आत्मघाती हमले में 13 सिख मारे गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली थी।

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में गुरुद्वारे पर आतंकी हमले की खबर है। मीडिया रिपोर्टों में अफगान आंतरिक मंत्रालय ने काबुल में हुए इस हमले की पुष्टि की है। बताया जा रहा है की पहले फिदायीन हमलावर ने खुद को उड़ा लिया। हमले में 4 लोगों के मरने की खबर है।

आत्मघाती धमाके के बाद बंदूकधारी गुरुद्वारे में दाखिल हो गए। अफगानी मीडिया रिर्पोटों के हवाले से न्यूज एजेंसी एएनआई ने बताया है कि सुरक्षा बलों ने गुरुद्वारे के पहले तल को खाली करा लिया है। मुठभेड़ जारी है। अंदर फॅंसे कई लोग सकुशल बाहर निकाल लिए गए हैं।

अल जजीरा के मुताबिक ने सांसद नरेंद्र सिंह खालसा ने बताया कि जब यह हमला हुआ, तो वह घटनास्थल के पास ही थे। उनके अनुसार, धमाके की आवाज सुनते ही वे गुरुद्वारे की ओर भागे और देखा कि वहाँ कम से कम 4 सिखों की मृत्यु हुई थी। अभी तक किसी ने भी इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। लेकिन इस महीने की शुरुआत में राजधानी काबुल में ही IS (दाएश) ने अल्पसंख्यक शिया समुदाय के एक समूह पर हमला किया था, जिसमें 32 लोग मारे गए थे। अब इस हमले को भी उससे जोड़कर देखा जा रहा है।

गौरतलब है कि अफगानिस्तान में लंबे समय सिखों को व्यापक भेदभाव का सामना करना पड़ा है और कई बार आतंकवादियों ने भी उन्हें निशाना बनाया है। हालिया दिल्ली दंगों के बाद भी काबुल में सिखों की दुकान पर हमला हुआ था। अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस घटना का विडियो अपने ट्विटर पर भी शेयर की था जिसमें अधेड़ उम्र का सिख दुकानदार हाथ जोड़कर हताश खड़ा था और उसकी दुकान का सामान जमीन पर बिखरा था।

बता दें, अल्पसंख्यक सिखों पर यह पहला हमला नहीं है। पहले भी अफगानिस्तान में उनपर हमले होते आए हैं और डरकर वे भारत आने को मजबूर हुए हैं। 2018 में भी जलालाबाद में आत्मघाती हमला हुआ था जिसमें 13 सिख मारे गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली थी। हमले से सिख समुदाय इतना डर गया था कि उन्होंने देश छोड़ने का फैसला कर लिया था। मौजूद जानकारी के मुताबिक, अफगानिस्तान में अब 300 से भी कम सिख परिवार बचे हैं। इनके पास दो ही गुरुद्वारा है। एक जलालाबाद और दूसरा काबुल में।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ग्रामीण और रिश्तेदार कहते थे – अनाथालय में छोड़ आओ; आज उसी लड़की ने माँ-बाप की बेची हुई जमीन वापस खरीद कर लौटाई, पेरिस...

दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है।

शेख हसीना का घर अब बनेगा ‘जुलाई क्रांति’ का स्मारक: उपद्रव के संग्रहण में क्या ब्रा-ब्लाउज लहराने वाली तस्वीरें भी लगेंगी?

यूनुस की अगुवाई में 5 सितंबर 2024 को सलाहकार परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इसे "जुलाई क्रांति स्मारक संग्रहालय" के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -