कॉन्ग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को बदनाम करने के लिए कोरोना वायरस से हुई मौतों को लेकर झूठ फैलाया। उन्होंने एक ख़बर का हवाला देते हुए ट्वीट किया कि उत्तर प्रदेश में सिर्फ़ 48 घंटे में भर्ती हुए 28 कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की मौत हो गई है।
प्रियंका गाँधी ने दावा किया कि सरकार की नो टेस्ट-नो कोरोना की नीति पर सवाल उठे थे लेकिन सरकार ने उसका कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि अगर उत्तर प्रदेश की सरकार सच दबाकर कोरोना मामले में इसी तरह लगातार लापरवाही करती रही तो बहुत घातक होने वाला है।
राहुल गाँधी की बहन ने लिखा कि यूपी सरकार के लिए कितनी शर्म की बात है कि इसी मॉडल का झूठा प्रचार करके सच दबाने की कोशिश की गई। हालाँकि, प्रियंका गाँधी ने जो दावा पेश किया वो झूठा था और सन्दर्भ से हट कर था और प्रशासन ने ही उनके दावे को नकार दिया।
आगरा के डीएम ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा कि नवभारत टाइम्स द्वारा अब तक हुए कुल कोरोना पॉजिटिव मरीजों की मृत्यु के सम्बन्ध में डेथ ऑडिट का हवाला प्रियंका गाँधी वाड्रा ने दिया है। लेकिन उन्होंने जानकारी दी कि पिछले 109 दिनों में आगरा जिले में अब तक कुल 1136 कोरोना के केस आए हैं एवं 79 संक्रमितों की मृत्यु हुई है।
संलग्न नवभारत टाइम्स द्वारा अबतक हुए कुल कोरोना पॉजिटिव मरीजों की मृत्यु के सम्बन्ध में डेथ ऑडिट का हवाला दिया है। पिछले 109 दिनों में #Agra में अबतक कुल 1136 केस एवं 79 मृत्यु हुयी है। “पिछले 48 घंटों में भर्ती हुए 28 कोरोना मरीजों की मृत्यु” की खबर असत्य है।@UPGovt@PrabhuNs_ https://t.co/9XtEIervvy
— District Magistrate Agra (@OfficeOfDMAgra) June 22, 2020
“पिछले 48 घंटों में भर्ती हुए 28 कोरोना मरीजों की मृत्यु” – खबर की सच्चाई
प्रियंका गाँधी ने ख़बर का लिंक तो शेयर कर दिया लेकिन उन्होंने हेडलाइन से आगे पढ़ने की जहमत नहीं उठाई, जिससे उन्होंने झूठा दावा कर दिया। दरअसल, यहाँ मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने के बाद के 48 घंटे की बात कही गई थी लेकिन प्रियंका गाँधी ने पिछले 48 घंटे समझ लिया।
‘नवभारत टाइम्स’ में ‘टाइम्स न्यूज़ नेटवर्क’ के हवाले से प्रकाशित की गई इस ख़बर की बात करें तो उसमें स्पष्ट लिखा है:
“आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में कोरोना के इलाज के लिए भर्ती हुए 28 कोरोना मरीजों की एडमिट होने के 48 घंटे के भीतर ही मौत हुई है। इस बात का खुलासा खुद योगी सरकार की एक ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है। बताया जा रहा है कि इन मरीजों को अलग-अलग तारीखों पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था और भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर इनकी मौत हुई। अधिकारियों ने स्वास्थ्य विभाग से उन 28 मरीजों की जानकारी माँगी है, जिनकी भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर ही मौत हो गई।”
जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इन मरीजों को अलग-अलग तारीखों में भर्ती कराया गया था, पिछले 48 घंटे के भीतर इन लोगों की मृत्यु नहीं हुई है। आगरा में अब तक कुल 79 लोगों की मौत हुई है। इसीलिए 107 दिन में 51 मौतें और मात्र 48 घंटों में 28 मौतों का आँकड़ा वैसे भी विश्वसनीय नहीं है। प्रियंका गाँधी के इस ट्वीट के बाद लोगों ने उनकी आलोचना की और साथ ही कहा कि उन्हें कम से कम ख़बर तो पढ़ लेनी चाहिए थी।
इससे पहले उत्तर प्रदेश में प्रवासी मजदूरों को घर भेजने के लिए 1000 बसें उपलब्ध करवाने के नाम पर भी प्रियंका गाँधी अपनी पार्टी की फजीहत करवा चुकी हैं। बसों की जो सूची यूपी सरकार को मुहैया कराई गई थी उसमें एंबुलेंस, निजी वाहन के साथ-साथ ऑटो रिक्शा भी शामिल थे। बाद में यह भी खबर आई कि राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार के विरोध में बस ड्राइवरों ने नारे लगाए। कई बस तो ख़राब भी थे।